छोटे भाई को कुसंगति से बचने के लिय पत्र।
517 शालीमार बाग,
दिल्ली
दिनांक……
चिरंजीव रमेश,
शुभाशीर्वाद,
आज ही तुम्हार विद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा भेजा पत्र प्राप्त हुआ। मुझे यह जानकर अति दुःख कि तुम अब पढ़ाई में मन न लगाकर कक्षा से गायब रहने लगे हो, जिसके परिणमस्वरूप विद्यालय मासिक परीक्षा में असफल रहे हो। मुख्याध्यापक के पत्र के अनुसार तुम्हारा साथ उन विद्यार्थियों से है जिनका उद्देश्य पढ़ना नहीं है।
प्रिय भाई, तुम जानते ही हो कि कितनी कठिनाई से हम तुम्हें पढ़ा रहे हैं। यदि तुम कुसंगति में पड़कर अपना जीवन नष्ट करोगे, तो माता-पिता को तो ठेस लगेगी ही, तुम्हारा जीवन भी नष्ट हो जायेगा।
अभी कुछ नहीं बिगड़ा है। अब भी तुम समय के महत्त्व को पहचानो तथा जीवन के अमूल्य क्षणों को व्यर्थ न गँवाकर पढ़ाई में मन लगाओ। कुसंगति से दूर रहकर ही तुम माता-पिता के स्वप्न को साकार कर सकते हो तथा अपने जीवन में कुछ बन सकते हो।
आशा करता हूँ कि तुम कक्षा में नियमित रूप से जाया करोगे, पढ़ाई में मन लगाओगे तथा भविष्य में इस तरह की शिकायत को कोई अवसर न दोगे।
पूज्य माताजी, पूज्य पिताजी को प्रणाम तथा बबली को प्यार।
तुम्हारा शुभेच्छु,
गुलशल चोपड़ा