बेरोज़गारी की समस्या और समाधान
Berojgari ki Samasya aur Samadhan
भारत में बेरोज़गारी की समस्या एक भयानक समस्या है। यहाँ लगभग 44 लाख लोग प्रतिवर्ष बेरोजगारों की पंक्ति में आकर खड़े हो जाते हैं। आज भारत में करोड़ों अशिक्षित और शिक्षित बेरोज़गार हैं।
बेरोज़गारी का पहला और सबसे मुख्य कारण जनसंख्या में निरंतर वृद्धि होना है। भारत में जनसंख्या 2.5 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ रही है। जिसके लिए प्रतिवर्ष 50 लाख व्यक्तियों को रोजगार देने की आवश्यकता पड़ती है जबकि मात्र 5-6 लाख लोगों को ही रोजगार मिल पाता है।
बेरोज़गारी के लिए हमारी शिक्षा प्रणाली दोषपूर्ण है। यहाँ व्यवसाय प्रधान शिक्षा का अभाव है। व्यावहारिक या तकनीकी शिक्षा के अभाव में शिक्षा पूरी करने के बाद विद्यार्थी बेरोज़गार रहता है। इसके अतिरिक्त लघु और कुटीर उद्योगों के बंद होने के कारण भी बेरोजगारी बढ़ रही है। कच्चे माल के अभाव और तैयार माल के बाज़ार में खपत न होने के कारण श्रमिक लघु एवं कुटीर उद्योगों को छोड़ रहे हैं। इस प्रकार बेरोज़गारी की समस्या और बढ़ रही है।
यंत्रीकरण अथवा मशीनीकरण ने भी असंख्य लोगों के हाथ से रोज़गार छीनकर उन्हें बेरोज़गार कर दिया है, क्योंकि एक मशीन कई श्रमिकों का काम निपटा देती है। फलस्वरूप बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो रहे हैं।
इस बेरोजगारी का समाधान भी संभव है। बेरोज़गारी को कम करने सर्वोत्तम उपाय है-जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाना। जनसंख्या को बढ़ने से रोककर भी बेरोज़गारी को रोका जा सकता है। इसके अलावा शिक्षा को रोजगारोन्मुख बनाया जाना चाहिए ताकि शिक्षित होने के बाद विद्यार्थी को रोजगार मिल सके।
बेरोजगारी कम करने के लिए लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास भी अत्यावश्यक है। सरकार द्वारा धन, कच्चा माल, तकनीकी सहायता देकर तथा इनके तैयार माल की खपत कराके इन उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे भी बेरोज़गारी में कमी आएगी। इसके अतिरिक्त मुर्गी पालन, दुग्ध व्यवसाय, बागवानी आदि उद्योग-धंधों को विकसित करके भी रोज़गार बढ़ाया जा सकता है।
सरकार को चाहिए कि बेरोज़गारी को कम करने के लिए वह सड़क-निर्माण, वृक्षारोपण आदि कार्यों पर जोर दे ताकि अशिक्षित बेरोजगारों को रोजगार मिल सके।
संक्षेप में हम कह सकते हैं कि जन्म-दर में कमी करके, शिक्षा का व्यवसायीकरण करके और लघु उद्योगों को प्रोत्साहन देकर बेरोज़गारी का स्थायी समाधान सम्भव है।