शिकारी
Shikari
हाफिक जी जो मनुष्य जंगली पशुओं का शिकार करता है, उसे शिकारी कहत हैं। आदि काल में मनुष्य अपनी भूख शांत करने के लिए पशुओं का शिकार करता था। फिर शनैः शनैः मनुष्य का विकास होता गया। परंतु मनुष्य का शिकार करना जारी रहा।
पहले राजा-महाराजा भी शिकार किया करते थे। जंगली जानवरों का शिकार करना उनका शौक था। अयोध्या के राजा श्रीराम ने भी अपनी भार्या सीता के कहने पर स्वर्ण के मृग का शिकार किया था। राजा-महाराजा पशुओं का शिकार करके उनके चर्म से अपने महलों की शोभा बढ़ाते थे। वे शेर और चीतों का शिकार करना अपनी बहादुरी समझते थे। इन बेजुबान जानवरों का शिकार करके वे सदैव अपने पौरुष का प्रदर्शन ही किया करते थे।
आज भारत सरकार ने शेर, चीते, मृग, चीतल, मोर आदि जंगली जानवरों के शिकार करने पर पूर्णत: पाबंदी लगा दी है और इनके शिकार को दण्डनीय अपराध घोषित कर दिया है। परंतु इसके बावजूद लोग अपने क्षुद्र स्वार्थ और चंद पैसों के लिए इन बेजुबान व निरीह जानवरों का बड़ी निर्दयता एवं क्रूरतापूर्वक शिकार कर रहे हैं।
ये शिकारी शेर, चीते, हाथी, चीतल, राष्ट्रीय पक्षी मोर, गेंडा हाथी, हिरण आदि का शिकार करते हैं और इनके चर्म (खाल) को विदेशों में लाखों-करोड़ों रुपए में बेच देते हैं। हाथी के दाँत चूड़ियाँ बनाने एवं अन्य सजावट का सामान बनाने के काम आते हैं। इसी प्रकार गेंडा हाथी की नाक के ऊपर का सींग भी दवा बनाने के प्रयोग में लिया जाता है। विदेशी बाज़ार में इसकी माँग व कीमत बहुत है। इसके अतिरिक्त कस्तूरी वाले हिरण को भी ये शिकारी नहीं छोड़ते, क्योंकि उससे उन्हें मृग-छाल के अलावा दुर्लभ कस्तूरी भी मिलती है जिसकी उन्हें मुंहमांगी कीमत (रुपए) मिलती है।
ये शिकारी बडे बेरहम और क्रूर होते हैं। यदि सरकार इनको फांसी भी दे दे, तो भी कम है। इन जंगली जानवरों के शिकार पर पर्ण । लगाने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे। वरना शीघ्र ही दिन ऐसा आएगा, जब ये जंगली जानवर संसार से बिल्कल सपा जाएंगे।
आजकल ये जंगली जानवर हमें बस सर्कस और चिडियाघर देखने को मिलते हैं। शेर-चीतों की संख्या तो इतनी कम हो गई है कि ये पूरी दुनिया में बस कुछ हज़ार ही बचे हैं।
इस दुनिया में केवल इंसानों को ही नही, इन जंगली जानवरों को भी जीने का अधिकार है। ये भी हमारे अपने हैं। इसलिए हमें इन शिकारियों पर हर हाल में अंकुश लगाना ही होगा। जिससे ये जंगली जानवर भी निडरता और स्वतंत्रता से रह सकें।