Hindi Essay on “Aatankwad”, “आतंकवाद”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

आतंकवाद

Aatankwad

निबंध नंबर :- 01

आतंकवाद का शब्दार्थ है- भय का सिद्धांत जब डर के माध्यम से किसी बात का समर्थन कराया जाता है तब आतंकवाद का वास्तविक रूप सामने आता है। आज संसार का कोई देश इस राक्षस के चंगुल से मुक्त नहीं है। कहीं कम तो कहीं ज्यादा इस राक्षस ने अपना डेरा जमाया हुआ है, केवल रूप की भिन्नता है। आतंकवादियों के दिल कठोर व निर्मम होते हैं। उन्हें किसी मासूम के अनाथ होने की चिंता नहीं है। भारत में आतंकवाद नक्सलवादी आंदोलन के रूप में सन्। 1967 में शुरू हुआ। बंगाल प्रांत के उत्तरी छोर पर नक्सलवाड़ी एक स्थान है, जहाँ से एक नए विचार ने जन्म लिया, एक नई राजनीति पनपी जिसका आधार हिंसा था। लोगों की हत्याएँ की गई जिससे भयपूर्ण वातावरण का जन्म हुआ।

कुछ क्षेत्रों में आतंकवादी हमारे नौजवानों को नौकरी दिलवाने, अच्छा धन पैदा कराने का आश्वासन देकर ठग ले जाते हैं और उन्हें आतंकवादी बनने पर बाध्य करते हैं। नौजवान उचित-अनुचित का विवेक खोए होते है। बेरोजगारी, गरीबी, लाचारी से टूटे हुए लोग हाथ में हथियार उठाने से पहले मानवता का पर्णरूपेण गला घोंटते हैं। संसार में न तो जन्म देना आसान है और न मरना। फिर भी हथियार की नोक पर वे सभी गलत कार्य करने व करवाने पर उत रहते हैं। हिंसा करके मिलने वाली जीत सच्ची जीत नहीं होती। भारत भूमि तो सदैव ‘अहिंसा पर बल देता रहे। ‘अहिंसा परमो धर्म:’ का पाठ विश्व को पढ़ाने वाला भारत हिंसा का गढ़ बन गया है, इससे अधिक शोचना हो ही नहीं सकती।आज आवश्यकता है, इस आतंकवाद को जड़-मूल से उखाड़ फेंकने की। यह ठीक है कि यदि किसी समस्या का समाधान बातचीत से हो सके, तो अत्युत्तम है परंतु जब पानी सिर से ऊपर जाए, तो ढील देना गलत है। अत:  सरकार का कर्तव्य है कि वह भारत पर आई इस भीषण विपत्ति का समूल नाश करे तथा निरीह नागरिकों को इन गुमराह, देशद्रोही तथा क्रूर आतंकवादियों से बचाने में कठोर-से-कठोर कदम उठाने में भी पीछे न हटे। इस समस्या से एकजुट होकर निपटने की आवश्यकता है। आतंकवाद की समाप्ति में ही मानव का हित निहित है।

“विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम।।

भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम।।”

हमारा इतिहास इस बात का साक्षी है कि हमारा देश आरंभ से ही शांतिप्रिय तथा अहिंसा में विश्वास रखने वाला रहा है। हमारी संस्कृति में कहा गया है

“सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग भवेत्।।”

इसी संस्कृति की याद दिलाने की आवश्यकता आज आन पड़ी है। व्यक्ति, समय व राष्ट्र का विकास तभी संभव है जब हम अपनी रचनात्मक क्रियाओं को प्रकट कर सकें और सबका भला सोचें।

निबंध नंबर :- 02

आतंकवाद

Aatankwad

भूमिका- जब हम भारत की विभिन्न समस्याओं पर विचार करते हैं तो ऐसा लगता है कि हमारा देश भारतवर्ष अनेक समस्याओं से घिरा हुआ है। एक से एक समस्या बढ़ कर है- एक और भुखमरी है तो दूसरी ओर बेरोजगारी है, कहीं अकाल पड़ा है तो कहीं बाढ़ ने घेरा डाला हुआ है। इन सब समस्याओं से भयानक आतंकवाद की समस्या है जो भारतवर्ष रूपी वृक्ष को दीमक के समान चाट-चाट कर खोखला कर रही है। कुछ साम्प्रदायिक ताकतें और अनेक पथ भ्रष्ट नवयुवक हिंसात्मक रूप से देश के अलग-अलग क्षेत्रों में दंगा-फसाद करा कर अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हैं।

आतंकवाद का अर्थ- देश में आतंक की स्थिति उत्पन्न करना, हफरा-दफरी मचाना ही आतंकवाद कहलाता है। इसके लिए देश के विभिन्न भागों में हिंसात्मक उत्पात मचाए जाते हैं। सरकार उन्हीं उत्पातों को सुलझाने में लगी रहती है और सामाजिक जीवन के विकास की और ध्यान नहीं रहता। कुछ विदेशी ताकतें भारत की उन्नति से जलती हैं। वे ही शक्तियाँ भारत में रह रहे कुछ स्वार्थी लोगों को धन दौलत का लालच देकर उनसे उपद्रव कराती हैं ताकि भारत उन्नति न कर सके। आतंकवादी बसों से यात्रियों को निकालकर मारते हैं। रेल पटड़ियों को उखाड़ फेंकते हैं। बैंकों को बन्दूक की नोक पर लूटते हैं। सार्वजनिक स्थलों पर बम फेंकते हैं। इस प्रकार वे आतंक फैलाने में सफल होते हैं।

आतंकवाद के कारण- आतंकवाद के अनेक कारण है। सबसे प्रमुख कारण गरीबी है। दूसरा बेरोजगारी है। तीसरा भुखमरी और चौथा धार्मिक उन्माद है। धार्मिक कटरता आतंकवादियों को अधिक प्रोत्साहित करती है। लोग धर्म के नाम पर एक दूसरे के खून के प्यासे रहते हैं। धर्म के नाम पर अनेक दंगे भड़क उठते हैं। यहाँ तक ही नहीं धर्म के नाम पर अलगवाद, अलग राष्ट्र की मांग भी करने लग जाते हैं। इससे देश में ख़तरा बढ़ जाता है।

समाप्ति के उपाय- भारत सरकार आतंकवाद को कुलचने का प्रयत्न कर रही है लेकिन इसके लिए कुछ कठोर पग उठाने की आवश्यकता है। कानून एवं व्यवस्था में सुधार लाना होगा। सीमा के साथ लगते सारे क्षेत्र की नाकाबंदी करनी चाहिए। आतंकवादियों को बाहर से जो गोला-बारूद, हथियार आदि प्राप्त होते हैं उन पर कड़ी नजर रखी जाए। आतंकवादियों के प्रशिक्षण केन्द्रों को समाप्त किया जाना चाहिए। देश के बेरोजगार और पथ भ्रष्ट युवकों को प्रशिक्षण देकर उनके लिए रोजगार के अवसर जुटाए जाने चाहिए। ऐसा करने से आतंकवाद को काफी हद तक रोक मिलेगी।

जनता से सहयोग- जनता को चाहिए कि सरकार का सहयोग करे। अपने आप पड़ोस में किसी सधिग्ध व्यक्ति को देखते ही उसकी सूचना पुलिस को दे देनी चाहिए। रेल में सफर करते समय बैठने से पहले अच्छी प्रकार देख लेना चाहिए कि कोई लावारिस वस्तु तो नहीं पडी। अपरिचित व्यक्ति से उपहार रूप में कुछ नहीं लेना चाहिए। अगर हम जागरूक होंगे तो आतंकवादी अपने मनसूबों में कामयाब नहीं हो पाएंगे। कोई भी धर्म किसी की हत्या करने की इजाजत नहीं देता। प्रत्येक धर्म मानव को मानव से प्यार करने की शिक्षा देता है। धर्म की आड़ लेकर आतंकवाद को प्रोत्साहित करने वाले लोगों पर अकुंश लगना चाहिए।

उपसंहार- यदि सराकर ने आतंकवाद की और ध्यान न दिया तो देश का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। जिस आजादी को लाखों कर्बानियां देकर प्राप्त किया था उसे हम अपने वैर भाव से उसके अस्तित्व को खतरे में डाल रहे। हैं। आतंकवादी हिंसा केवल के बल से हमारा मनोबल तोड़ रहे हैं तो हमें संगठित होकर उनका सामना करना होगा। आतंकवाद की समस्या का समाधान जनता एवं सरकार दोनों के मिले-जुले प्रयासों से ही सम्भव हो सकता है।

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