अपने मित्र को एक पत्र लिखो जिस में महाकुम्भ का वर्णन हो।
Mitra ko Mahakumbh Mele ka varnan karte hue patra
120; बृज नगर,
मोगा।
दिनाक : 15 अप्रैल, 2011
प्रिय मित्र सुधीर
सप्रेम नमस्कार।
दो दिन पहले आपका पत्र मिला। धन्यवाद। यह जानकर अति प्रसन्नता हुई कि आप पिछले सप्ताह वैष्णों देवी गए थे। मैं आज ही महाकुम्भ के मेले से लौट कर आया हूं। मैं इस पत्र से तुम्हें इस महा मेले का वर्णन कर रहा हूं। यह तो तुम्हें ज्ञात है कि महाकुम्भ के अवसर पर हिन्दुओं के लिए प्रयाग स्नान का विशेष महत्त्व है। इस वर्ष फरवरी मास में कुम्भ का पावन पर्व था। लाखों की संख्या में लोग इलाहाबाद पहुंचने लगे। रेल मन्त्रालय की ओर से पूरे भारतवर्ष से विशेष रेलगाड़ियां चलाई गई थी।
मैं अपने माता-पिता के साथ महाकुम्भ के दूसरे दिन ही पहुंच गया था। बड़ी मुश्किल से हमें धर्मशाला के ठहरने का स्थान मिला। अगले दिन प्रात: 8 बजे हम त्रिवेणी में पवित्र स्नान करने गए। स्त्रियों के स्नान के लिए अलग व्यवस्था थी। उस दिन हमारे प्रधानमन्त्री ने भी प्रयाग स्नान किया। ।
महाकुम्भ के मेले का दृश्य देखने योग्य था। स्त्रियां और पुरुष भजन कीर्तन करते हुए त्रिवेनी की ओर बढ़ रहे थे। अगले दिन प्रात: दूसरा स्नान करने के पश्चात हम लोगों ने वापस आने का निर्णय लिया। कुम्भ का मेला भारती सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक है। यही नहीं, यह राष्टीय एकता का भी परिचायक है। मेले में सभी जातियों के लाग भाग लेते है। यद्यपि लोगों को अनेक कष्ट सहन करने पड़ते है, लेकिन उनकी आध्यात्मिक रूचि कम नहीं होती। पता- सुधीर
आपका अभिन्न मित्र,
क.ख.ग. फिरोजपुर
10 गांधी नगर