Hindi Story, Essay on “Jaisi karni wesi Bharni ”, “जैसी करनी वैसी भरनी” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

जैसी करनी वैसी भरनी

Jaisi karni wesi Bharni 

मनुष्य अपने कमों का फल प्राप्त करता है। अच्छे कर्म करने से अच्छा ही फल मिलता है।

एक बार की बात है कि एक हाथी प्रतिदिन अपने महावत के साथ पानी पीने के लिए तालाब पर जाता था। मार्ग में एक दर्जी की दुकान थी। जब हाथी दर्जी की दुकान के सामने आता तो दर्जी उसे सदैव कुछ-न-कुछ खाने को देता। इससे हाथी बहुत प्रसन्न रहता था।

एक दिन दर्जी किसी बात पर नाराज था। हाथी प्रतिदिन की भान्ति दर्जी की दुकान पर आया और कुछ पाने की इच्छा से उसने अपनी सूंड आगे बढ़ाई। दर्जी पहले ही जला-भुना बैठा था। उसने हाथी की सूंड पर सूई चुबो दी। इससे हाथी बहुत ही नाराज हुआ और सीधा तालाब पर पानी पीने पहुंच गया। हाथी ने मन में सूई चुभाने का बहुत ही गुस्सा था। उसने दर्जी से बदला लेने की भावना से अपनी सूंड में कीचड़ वाला गन्दा पानी भर लिया। पानी पीकर

और औरकीचड़ वाला पानी सूंड में भर कर वापिस दर्जी की दुकान पर आ गया। हाथी ने अपनी सूंड का सारा गन्दा पानी दर्जी की दुकान के कपड़ों पर फैंक दिया। दुकान में पड़े सारे कपड़े खराब हो गए। दर्जी को अपनी करनी पर भी बहुत पछतावा हो रहा था कि क्यों उसने क्रोध में आकर हाथी से ऐसा व्यवहार किया। हाथी ने उसके लिए जैसी करनी वैसी भरनी वाली कहावत सत्य सिद्ध कर दी।

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