हमारे पड़ोसी
Hmare Padosi
निबंध नंबर :- 01
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । वह अकेला नहीं रह सकता । वह सदा एक सामाजिक के रूप में रहना पसंद करता है । इसीलिए कहा है कि अकेला तो वृक्ष भी अच्छा नहीं लगता । मनुष्य ने जब से गाँवों और शहरों में रहना शुरू किया है, उसके लिए पड़ोसी विशेष महत्त्व रखने लगे। पड़ोसी ही हमारे सुख-दुःख के साझीदार होते हैं ।समय कुसमय में हमारी सहायता करते हैं । सगे-सम्बन्धी तो हम से दूर होते हैं और फि । कुछ ही दिनों के लिए हमारे पास आते हैं । इसलिए पड़ोसियों से हमें सदा बना कर रखनी पड़ती है । इसी कारण पंजाब में एक कहावत प्रचलित है कि रिश्तेदार भले ही झगड़ालू हो पड़ोसी झगड़ालू नहीं होना चाहिए । इसका कारण यह है कि रिश्तेदार तो जब आएगा तभी लड़ेगा किन्तु यदि पड़ोसी प्रतिदिन लड़ाई झगड़ा करेगा तो जीना दूभर हो जाता है । भले ही आज परिस्थितियाँ बदलने के कारण तथा महानगरीय सभ्यता के प्रभाव के का। पड़ोसियों का कोई महत्व नहीं रह गया है किन्तु हम इस दृष्टि से भाग्यवान हैं कि हमे अच्छे पड़ोसी मिले हैं। किसी के घर विवाह शादी हो तो सारे पड़ोसी मिल-जुल कर विवाह कार्यों में हाथ बंटाते हैं । किसी को कोई दुःख तकलीफ हो तो सारे पड़ोसी इकठे हो जाते हैं । आज के स्वार्थी युग में ऐसे पड़ोसी मिलना बहुत कठिन है । हमारे पडोसी में एक अवकाश प्राप्त अध्यापक रहते हैं । वे सारे मुहल्ले के बच्चों को मुफ्त पढ़ाते हैं। एक दूसरे सज्जन हैं जो सभी पड़ोसियों के छोटे-छोटे काम बड़ी प्रसन्नता से करते हैं। किन्तु जैसे चाँद में भी दाग होता है हमारे पड़ोस में एक प्रौढ़ महिला भी रहती हैं जिसे सारे मुहल्ले वाले मौसी कह कर पुकारते हैं। यह मौसी मुहल्ले भर के लड़के-लड़कियां की खबर रखती है । यहाँ तक कि किस की लड़की अधिक फैशन करती है, किस का लड़का लड़कियों के पीछे घूमता है । मौसी को सारे मुहल्ले की ही नहीं, सारे शहर की खबर रहती है । हम मौसी को चलता-फिरता अखबार कहते हैं । मौसी ने कई बार झूठी चुगली करके कुछ पड़ोसियों को आपस में लड़वाने की कोशिश भी की । परन्तु मुहल्ले वाले उसकी चाल को समझते हैं । संक्षेप में कहें तो हमारे सारे पड़ोसी बहुत अच्छे हैं । एक दूसरे का ध्यान रखते हैं और समय पड़ने पर उचित सहायता भी करते हैं । हम बच्चे भी सभी का समान रूप से आदर करते हैं ।
निबंध नंबर :- 02
मेरा पड़ोसी
Mera Padosi
हमारे जीवन में पड़ोसी का बड़ा महत्व है। जब हम पर कोई विपत्ति पड़ती है, तो सबसे पहले पड़ोसी ही हमारी सहायता करते हैं। हमारे रिश्तेदार और मित्र आदि तो सूचना मिलने पर बाद में आते हैं। इसलिए हमें अपने पड़ोसियों से सदैव अच्छा व्यवहार करना चाहिए। उनकी हमेशा सहायता करनी चाहिए। उनको किसी वस्त के लिए मना नहीं करना चाहिए। प्रत्येक कार्य में उनका सहयोग करना चाहिए।
हमारे धर्मग्रंथों में लिखा है-“अतिथि देवो भवः” अर्थात् अतिथि देवता के समान है। परंतु पड़ोसी हमारे लिए देवता से भी बढ़कर है। हम सदैव उसके सुख-दुःख का ख्याल रखना चाहिए।
एक बार में रात को अपने घर की छत पर अपनी बहन के सा खेल रहा था। उस समय रात के दस बजे थे। गर्मी के दिन थे। बिजली गई थी। घर के अंदर गर्मी बहुत थी इसलिए हम छत पर थे। बिजली आ गई। बिजली आते ही मैं नीचे भागा। मेरे पीछे-पीछे मेरी होती बहन भी भागी, परंतु दुर्भाग्यवश सीढ़ी से उसका पैर फिसल गया और वह गिर पड़ी। गिरने के कारण उसके सिर में चोट लग गई। सिर लेखन बहने लगा। मैंने उसके सिर पर हाथ रखकर खून बहने से रोकने की कोशिश की, परंतु खून बहना रुक नहीं रहा था। शायद उसको गहरी चोट लगी थी। हम उस मोहल्ले में नए-नए आए थे। हमें ये भी मालूम नहीं था कि वहाँ डॉक्टर की दुकान कहाँ हैं? मेरी दादी बोली कि चोट पर हल्दी लगा दो। मेरी मम्मी पड़ोसियों से पूछ रही थी कि यहाँ डॉक्टर की दुकान कहाँ है? परंतु सभी कह रहे थे कि इस समय रात के 10 बज रहे हैं, अब कोई डॉक्टर नहीं मिलेगा। यह सुनकर हम सभी उदास होकर घर में बैठ गए। मेरी बहन बेहोश हो गई थी।
उसी समय जो हमारे सामने वाले पड़ोसी थे, वे अपनी नौकरी से वापस आए। शोरगुल सुनकर वे सीधे हमारे घर आए। उन्होंने तुरंत स्थिति को समझ लिया और हमें अपनी गाड़ी में बिठाकर नज़दीक के एक अस्पताल में ले गए और मेरी छोटी बहन के सिर में टाँके लगवाए। उसके बाद हम तुरन्त घर वापस आ गए।
उस दिन मुझे अनुभव हआ कि एक पड़ोसी का हमारे जीवन में क्या महत्व है। अगर समय पर मेरे पड़ोसी सहायता न करते, तो ईश्वर ही जाने मेरी बहन का क्या होता? हमारे रिश्तेदार और मित्र तो बाद में आए। तब मैंने प्रति की कि मैं हमेशा अपने पड़ोसी की सहायता करूँगा।
सचमुच, मेरा पड़ोसी रमेश बहुत ही उदार, दयालु और सदाचारी था। उस दिन से वो मेरा पड़ोसी होने के साथ-साथ मेरा मित्र भी बन गया मुझे बाद में पता चला कि मेरा वह पड़ोसी एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में मामूली सा ड्राईवर था। परंतु फिर भी वह बहुत उदार और मददगार था। हर पड़ोसी को ऐसा ही होना चाहिए।
सचमुच, मेरा पड़ोसी एक भला इंसान और महापुरुष है। मुझे उस पर गर्व है।