कर्तव्य पालन
Kartavya Palan
किसी कार्य को पूरा करना ही कर्तव्य पालन कहलाता है और जो नागरिक इन कर्तव्यों का सही ढंग से पालन करता है, वही नागरिक सभ्य (अच्छा) कहलाता है। मनुष्य को अपने सभी कर्तव्यों का पालन बड़ी निष्ठा से करना चाहिए। क्योंकि अगर वह कर्तव्य का पालन सही करता है तो उसे समाज में सम्मान मिलता है।
हर व्यक्ति को अपने कर्तव्यों को जरूर निभाना चाहिए। कर्तव्य पालन बचपन से ही शुरू हो जाता है। माता-पिता का कर्तव्य होता है कि वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षाएं दे तथा उन्हें अच्छे संस्कार दें। बच्चों का कर्तव्य होता है कि वह अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करें और उनकी सेवा करें। इसी प्रकार अध्यापक का कर्तव्य होता है कि वह विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा प्रदान करे तथा उन्हें अच्छे बुरे का ज्ञान कराए। इसी प्रकार देश के हर नागरिक के अपने घर, परिवार, देश व समाज सबके प्रति कर्तव्य होते हैं जो कि उन्हें अवश्य पूरा करने चाहिएं। अपने कर्तव्यों को पूरा करने वाला मनुष्य जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सम्मान पाता है। भारतीय गवाह है कि जितने भी महापुरुषों ने अपने कर्तव्यों का निष्ठा से पालन किया वह सब अमर हो गए तथा वही अब हमारे आदर्श पुरूष के इप में हैं। भगवान श्री रामचंद्र जी अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए वन में गए। उसी प्रकार श्रवण
कमार ने भी अपने अंधे माता-पिता की सेवा की तथा अपना कर्तव्य समझकर उन्हें तीर्थ-यात्रा करवाई। हमारे वीर भारतीयों ने भी देश के प्रति अपना कर्तव्य जानकर भारत माता को अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया तथा उन्हीं के कारण हमें स्वतंत्रता मिली है।
सबसे ज्यादा कर्तव्य पालन का महत्त्व विद्यार्थी जीवन में है। अपने अध्यापकों का सम्मान करना उनकी आज्ञा का पालन करना एवं सभी विद्यार्थियों के साथ प्रेमपूर्वक रहना तथा एक-दूसरे की सहायता करना। अगर वह इन सभी कर्तव्यों का पालन करता है तो वह आगे चलकर एक अच्छा नागरिक बनता है। वो हमेशा अपने घर परिवार तथा देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाता है।
हमारा भी कर्तव्य है कि हम अपना कार्य पूरी ईमानदारी से करें। दीन-दुखियों की सेवा, बूढे तथा बड़ों का आदर करना, अपाहिजों की मदद करना तथा देश की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहना यह सब हमारे कर्तव्य हैं।
हमें अपने कर्तव्यों का पालन अवश्य करना चाहिए क्योंकि तभी हम सभ्य नागरिक कहलाएंगे।