दूरदर्शन
Doordarshan
दूरदर्शन भी विज्ञान की अद्भुत देन है। आज हम जो विश्व की घटनाओं को देख सकते हैं तथा वहाँ की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। वह सब दूरदर्शन के द्वारा ही संभव हो पाया है। आज मनुष्य के जीवन में दुरदर्शन की उपयोगिता बढ़ गई है।
दूरदर्शन के माध्यम से हम घर में बैठे ही दूर की वस्तुओं, व्यक्तियों व घटनाओं को देख सकते हैं। दूरदर्शन का अविष्कार 25 जनवरी सन् 1926 को इंग्लैंड के एक इंजीनियर जॉन वेयर्ड ने किया था तथा भारत में दूरदर्शन की स्थापना सबसे पहले दिल्ली में सन् 1959 में हुई थी। पहले मनुष्य ख़बरों को सुनने के लिए या गीतों को सुनने के लिए रेडियो या आकाशवाणी का ही प्रयोग करता था। यह
केवल आकाशवाणी द्वारा हो । संभव था जिसमें वह केवल सुन ही पाता था तथा देख नहीं सकता था। परन्तु दूरदर्शन का अविष्कार होने से सभी जानकारियों, घटनाओं को सुनने के साथ-साथ देखा भी जा सका।
दूरदर्शन से हमारा केवल मनोरंजन ही नहीं होता बल्कि यह हमारा ज्ञान तटाने में भी सक्षम है। दूरदर्शन पर मनोरंजन के अतिरिक्त, खेलकुद से संबंधित खबरें, गीत-संगीत, नृत्य, नाटक व सभी प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। अब तो दूरदर्शन पर काफी सारे चैनल आ गए हैं जो अपना-अपना कार्यक्रम अलग-अलग दिखाते हैं तथा इतने सारे चैनलों के आगमन से लोगों को भी अपनी पसंद का चैनल देखने की स्वतंत्रता मिल जाती है।
दूरदर्शन जहाँ हमारा मनोरंजन व ज्ञान का साधन है वहीं दूरदर्शन से कुछ हानियां भी हैं। कुछ कार्यक्रम अच्छे होते हैं परन्तु कुछ कार्यक्रम हिंसाप्रद, डरावने, शोर-शराबे वाले होते हैं। कुछ कार्यक्रमों में शालीनता का अभाव रहता है। छोटे बच्चों पर इसका गलत प्रभाव पड़ता है। तथा उनकी आँखों तथा पढ़ाई दोनों पर इसका बुरा असर पड़ता है। परन्तु अगर हम केवल थोड़े व अच्छे कार्यक्रम ही देखें तो इन हानियों से बच सकते हैं तथा अपना स्वस्थ मनोरंजन कर सकते हैं और ज्ञान भी प्राप्त कर सकते हैं।