Hindi Essay on “Shri Guru Ravidas ji – Janam Diwas”, “श्रीगुरु रविदास जी – जन्म दिवस”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

श्रीगुरु रविदास जी – जन्म दिवस

Shri Guru Ravidas ji – Janam Diwas

श्रीगुरु रविदास जी के भक्तों (रविदासी) द्वारा उनका जन्म दिवस माघ मास की पन्द्रहवीं को बड़ी श्रद्धा और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। उनका जन्म काशी (वाराणसी) में सन् 1432 में हुआ था।

श्रीगुरु रविदास जी एक ऐसे घराने में पैदा हुए।   थे जो अपना जीवन-निर्वाह जूते बनाने का कामधन्धा करके किया।  करता था।रविदास जी सदैव प्रभु-भक्ति में लीन रहते थे। अतएव वह जो कुछ भी कमाते, अक्सर उसे साधु-संतों की सेवा में लगा देते थेचित्तौड़ (राजस्थान) की महारानी ने जब उनकी महिमा सुनी तो वह उनकी शिष्या बन गई। तत्कालीन पंडितों को यह बात अच्छी नहीं लगी तथा उन्होंने महाराज के पास शिकायत कीवे नहीं चाहते थे कि एक छोटी जाति का व्यक्ति भगवान् की प्रतिमा बनाकर उसकी पूजा-आराधना करेपरन्तु जब भरी सभा में महाराज के समक्ष रविदास जी ने अपनी मधुर वाणी के द्वारा सबका हृदय मोह लिया तो आपके विरोधियों की एक न चली। महारानी ने प्रभु का धन्यवाद करने के लिए एक महाभोज का अनुष्ठान किया, किन्तु जब ब्राह्मणों को पता लगा कि इस महाभोज में रविदास भी आ रहे हैं।  तो उन्होंने स्वयं अपने हाथों से अपना भोजन पृथक तैयार किया। कहा जाता है कि जब ब्राह्मण भोजन खाने के लिए पंक्ति में बैठे तब उन्हें प्रत्येक दूसरे ब्राह्मण के बीच में रविदास जी बैठे दिखाई दिए। इस पर उन ब्राह्मणों का मिथ्या घमण्ड टूट गया। तथा वे सब श्रीगुरु रविदास जी के चरणों पर गिर पड़े। यह दृश्य देखकर वहां उपस्थित अनेक लोग तत्काल श्रीगुरु रविदास जी के अनन्य भक्त बन गए।  श्रीगुरु रविदास जी की वाणी महान धार्मिक ग्रंथ “श्रीगुरु-ग्रंथ साहिब” में भी संकलित है। रामानंद जी उनके आध्यात्मिक गुरु थे। श्रीगुरु नानक देव जी तथा भक्त कबीर जी उनके समकालीन संत थे।

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