बैल और बकरी
Bel aur Bakri
एक बार एक शरारती बकरी अपने चरवाहे और बकरियों के झुंड साथ, हरे-भरे मैदान में चरने के लिए गई। जब दिन ढलने लगा तो चरवाहे। ने तय किया कि अब उसे बकरियों के साथ लौट जाना चाहिए। वह महसूस कर सकता था कि आकाश में बादल घने होते जा रहे थे और बहुत जल्दी वर्षा होने वाली थी। उसने अपने झुंड को घर की ओर हांका और वापिस चल दिया।
शरारती बकरी ने उसकी बात नहीं सुनी और दूर जा कर चरती रही। उसके साथ क्या हुआ? वह अकेली रह गई और बाकी बकरियां सही सलामत अपने ठिकाने पर पहुंच गईं। बकरी को अभी तक एहसास नहीं हुआ था कि उससे कितनी बड़ी भूल हो गई थी। वह उसी गुफा में जा पहुंची, जहां चरवाहा तूफान आने पर उन्हें ले कर जाया करता था। वह उस गुफा मेंअकेली थी, वहां जाते ही वह खुशी से झूम उठी।
अब, गफा के बाहर एक बैल जंगल में सैर कर रहा था। अचानक ही उसने शेर की दहाड़ सुनी। वह अपनी जान बचाने के चक्कर में उसी गुफा में आ गया, जहां बकरी पहले से मौजूद थी। उसे लगा कि गुफा में छिप कर अपनी जान बचाई जा सकती थी।
तभी बकरी ने उस पर धावा बोल दिया और अपने तीखो सींगों से उस पर वार करने लगी। बेचारा बैल डर के मारे मुंह से आवाज भी नहीं निकाल पा रहा था क्योंकि उसे शेर के हाथों मारे जाने का डर था। वह चुपचाप उस नन्ही बकरी के वार झेलता रहा। वहीं दूसरी ओर बकरी को यह देख कर बहुत घमंड हुआ कि एक इतना बड़ा बैल उसके आगे चुपचाप खड़ा था।
अंत में बैल ने उससे कहा, “मेहरबानी करके मेरी इस चुप्पी को कायरता मत समझो। मेरे लिए इस समय शेर से जान बचाना ज्यादा मायने रखता है। जब ये खतरा टल जाएगा, तब मैं तुम्हें अपनी असली ताकत दिखाऊंगा!!”
नैतिक शिक्षाः केवल दुष्ट लोग ही कठिन समय में दूसरों का लाभ उठाते हैं।