बैसाखी
Baisakhi
बैसाखी सिक्ख धर्म के लोगों का प्रिय त्योहार है। यह पर्व अंग्रेजी कलेण्डर के अनुसार हर वर्ष प्रायः 13 अप्रैल को आता है। भारतीय मास परम्परा में बैसाख महीने का पहला दिन ‘बैसाखी’ के रूप में मनाया जाता है।
बैसाखी के दिन ही सिक्खों के दसवें तथा अन्तिम गुरु गोविन्द सिंह जी ने सन् 1699 में ‘खालसा पंथ की स्थापना की थी। उस समय मुगल सम्राट औरंगजेब का भारत पर शासन था। औरंगजेब भारत की हिन्दू जनता पर बहुत अत्याचार किया करता था तथा हिन्दुओं को धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर किया जाता था। गुरुगोविन्द सिंह की तलवार हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए उठी थी। उन्होंने बैसाखी के दिन अपने कुछ शिष्यों को लेकर ‘खालसा पंथ की नींव रखी।
बैसाखी के दिन ही 13 अप्रैल सन् 1919 को अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर के निकट स्थित जलियाँवाला बाग में क्रान्तिकारी देश-भक्तों की एक विशाल सभा का आयोजन किया गया था। यह आयोजन अंग्रेजों के बनाए ‘रौलेट ऐक्ट’ नामक काले कानून तथा मार्शल लॉ के विरोध में हुआ था। जलियाँवाला बाग का केवल एक ही दरवाजा था तथा बाग चारों ओर से ऊँची-ऊँची दीवारों से घिरा था। बाग में एक बड़ा-सा कुँआ भी था।
जब देश-भक्त लोग क्रान्तिकारी नेताओं के भाषण सुन रहे थे तो जनरल डायर अपनी फौज को लेकर बाग में घुस आया। उसने बाग का एकमात्र दरवाजा भी बन्द कर दिया ताकि कोई भी क्रान्तिकारी अपनी जान बचाकर भागने न पाए।
जनरल डायर ने लोगों को चेतावनी दिए बिना ही अपनी फौज के सिपाहियों द्वारा बाग में एकत्रित सभी लोगों पर गोलियाँ बरसानी प्रारम्भ कर दी। जिससे 1500 लोग मार गए। कई लोग भागते-भागते कुएँ में जा गिरे अनेक व्यक्ति जल भी हो गए लेकिन जब तक सिपाहियों की बंदूकों की गोलियाँ खत्म नहीं हो गई, जनरल निर्दोष मासूम लोगों पर अंधाधुंध गोलियाँ बरसाता रहा। इसप्रकार वैसाखी का त्योहार जलियाँवाला बाग के शहीदों की याद भी हमको दिलाता है।
‘जलियाँवाला बाग समिति’ ने आगे चलकर उन सभी शहीदों की स्मृति में लालपत्थरों का एक स्मारक भी बनवाया था।
बैसाखी के दिन पंजाब के किसान रबी (चैत) की फसल को लहलहाते, फलते-फूलते देख खुश होते हैं।
इस दिन आकाश में विशाखा नक्षत्र का उदय होता है। विशाखा नक्षत्र से युक्त पूर्णमासी होने के कारण यह महीना बैसाख कहलाने लगता है।
बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में संक्रमण करता है। इस कारण इस दिन को ‘मेष संक्रान्ति’ भी कहते हैं।
इस दिन रात और दिन समान अवधि के होते हैं। इसलिए इस दिन को ‘संवत्सर’ भी कहा जाता है।
बैशाख मास भगवान को प्रिय होने के कारण ‘माधवमास’ भी कहलाता है। इस महीने में भारत के तीर्थों पर कुंभ के मेले लगते हैं।
बैसाखी के दिन पवित्र नदियों और सरोवरों में स्नान किया जाता है। पंजाब के लोग इस दिन ढोल की आवाज पर भाँगड़ा नृत्य करते हैं।
बैसाखी के दिन गुरुद्वारों और मन्दिरों में एक विशेष प्रकार का उत्सव मनाया जाता है।
असम में ‘मेष संक्रान्ति’ के दिन ‘बिहू पर्व मनाया जाता है।
पंजाब, सीमा के प्रदेशों, हिमाचल, जम्मू प्रांत, गढ़वाल और कुमायूँ तथा नेपाल में यह दिन नए साल के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।