अपने मित्र को पत्र लिखकर ग्रीष्मावकाश अपने साथ बिताने का निमंत्रण दीजिए।
319, विकासपुरी,
नई दिल्ली-18
प्रिय मित्र अजय,
सप्रेम नमस्ते,
तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर विदित हुआ कि तुम इस बार भी परीक्षा में प्रथम आए हो, मेरी ओर से बधाई। मुझे विश्वास है कि तुम भावी जीवन में भी इसी प्रकारे प्रथम आकर न केवल अपने विद्यालय का, बल्कि पूरे क्षेत्र का नाम रोशन करोगे। मेरा परीक्षा-परिणाम आने वाला है। 15 मई को हमारा विद्यालय ग्रीष्मावकाश के लिए बंद हो रहा है। इस बार हमने मसूरी जाने का कार्यक्रम बनाया है। मेरी इच्छा है कि तुम भी इस बार हमारे साथ मंसूरी चलो। तुम्हारे साथ बड़ा आनन्द आएगा। हम वहाँ पन्द्रह दिन रहेंगे। वहीं रहने का पूरा प्रबन्ध कर लिया गया है। मेरे चाचाजी मंसूरी में इंजीनियर हैं। उन्होंने सारा प्रबन्ध करवाया है। हम मंसूरी, देहरादून आदि सभी क्षेत्रों को देखेंगे और दिल्ली की भयंकर लू तथा गर्मी से भी बंचेंगे। मुझे आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि तुम भी हमारे साथ अवश्य चलोगे। यदि मेरा नाम लेकर पूज्य चाचाजी से अनुमति माँगोगे, तो वे मना नहीं करेंगे। वैसे मैंने पिताजी को भी कहा है कि वे भी अपनी ओर से चाचाजी को पत्र लिखेंगे। शेष कुशल हैं।
पत्रोत्तर की आशा में।
पूज्य चाचाजी तथा चाचीजी को प्रणाम। बिन्दु को प्यार।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
क, ख, ग.
दिनांक : 6 मई, 1999