दिल्ली परिवहन निगम के मुख्य प्रबन्धक को पत्र लिखकर एक बस कर्मचारी के प्रशंसनीय और साहसिक व्यवहार की सूचना देते हुए उसे सम्मानित करने का आग्रह कीजिए।
महाप्रवन्धक,
दिल्ली परिवहन निगम,
सिंधिया हाउस, नई दिल्ली।
महोदय,
मैं इस पत्र के द्वारा आपका ध्यान आपके विभाग के एक साहसी तया कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारी के व्यवहार की ओर आकर्षित कराना चाहता है। आशा करता हैं कि आप इस कर्मचारी को उचित पुरस्कार देकर सम्मानित करेंगे।
मैं दिनांक 6 फरवरी को विकासपुरी मोड़ से 851 रूट की बस नं. DLP 7486 में प्रातः काल 7.30 बजे चढ़ा। बस में काफी भीड़ थी। अतः में पीछे ही खड़ा था। बस मोतीनगर पहुंची थी कि आठ-दस लोगों की भीड़ पीछे से चढ़ी और तभी मेरी जेब से मेरा पर्स गायब हो गया। मैंने शोर मचाया, तो एक व्यक्ति बस से कूद कर भाग निकला। कंडक्टर श्री रविकान्त ने बस रुकवाई और उसके पीछे भाग लिया। उस व्यक्ति ने चाकू दिखाया। मगर इसका रविकान्त पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और उसने उसे धर दबोचा। पुलिस-स्टेशन। पर उसे पुलिस के हवाले कर दिया। मेरा पर्स सही सलामत मुझे वापस मिल गया। मैंने उसे सौ रुपये पुरस्कार स्वरूप देने चाहे, मगर उतने सधन्यवाद नोट लौटा दिये। ऐसे कर्तव्यनिष्ठ एवं साहसी कर्मचारी कम ही देखे जाते हैं, जो अपनी जान को जोखिम में डालकर दूसरों की सहायता करते हैं। आप से निवेदन है कि श्री रविकान्त, जिनका वैज नं. 34560 है, को सम्मानित करके अन्य कर्मचारियों के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत करें।
भवदीय,
रमेश गुप्ता
044, विकासपुरी,
नई दिल्ली
दिनांक : 11 फरवरी, 1999