अपने पिताजी को पत्र लिखकर बताइए कि आपके विद्यालय में वार्षिकोत्सव किस प्रकार मनाया गया और आपके दो निकटतम मित्रों को किन-किन बातों के लिए पुरस्कृत किया गया।
10 प्रगति छात्रावास,
वनस्थली विद्यापीठ।
श्रद्धेय पिताजी,
चरण स्पर्श |
अत्र कुशलं तत्रास्तु कुशलं के पश्चात् समाचार यह है कि कल ही आपको पत्र मिला। में समय पर आपके पत्र का उत्तर न दे सकी। इसका मुझे बह खेद है। इसका कारण यह या मुझे विद्यालय में मनाये जा रहे वार्षिकोत्सव में भाग लेना पड़ा। इसलिए पत्रोत्तर देने में देरी हो गई। आशा है, आप मुझे क्षमा कर देंगे।
लगभग एक माह से ही वार्षिकोत्सव की तैयारियों चल रही थीं। 15 अगस्त बड़ी धूमधाम से मनाया गया। जिसका वर्णन संक्षिप्त रूप में लिख रही हैं।
वार्षिकोत्सव पर विद्यालय को दुल्हन की तरह सजाया गया था। विद्यालय के प्रांगण । में एक बड़ा शामियाना लगाया गया। मंडप में कुर्सियों की व्यवस्था की गई थी। अभिभावकों, अध्यापकों व छात्रों के लिए बैठने के अलग-अलग स्थान थे। शिक्षा निदेशक इस अवसर के मुख्य अतिथि थे। वैसे तो वनस्थली विद्यापीठ अपने आप में प्राकृतिक सुन्दरता सजाये हुए है, परन्तु आज इसका रूप देखते ही बन रहा था।
मुख्य अतिथि ठीक पाँच बजे विद्यालय में प्रविष्टि हुए। प्रधानाचार्य, एन.सी.सी. काडेटों व गार्डस ने मुख्य अतिथियों का स्वागत किया। तत्पश्चात् सांस्कृतिक कार्यक्रम का आरम्भ सरस्वती वन्दना से हुआ। माधुरी सक्सेना व उसकी सहेलियों ने सामूहिक नृत्य प्रस्तुत किया। हमारी कक्षा की छात्राओं ने कालीदास कृत “शाकुन्तलम” नाटक का मंचन किया। इस नाटक में मैंने “शाकुन्तला’ की भूमिका निभाई। नाटक काफी प्रशंसनीय रहा।
नाटक के बाद गीत, सहगान, एकल नृत्य, सितार व बांसुरी वादन के कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। प्रधानाचार्या ने विद्यालय की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उसके बाद छात्राओं को पुरस्कृत किया गया।
नाटक में सर्वश्रेष्ठ अभिनय का पुरस्कार मुझे प्राप्त हुआ है। रमा को एकल नृत्य तथा पूजा को सर्वश्रेष्ठ छात्रा का पुरस्कार दिया गया है। यह दोनों मेरी पक्की सहेलियाँ हैं।
मुख्य अतिथि ने अपने भाषण में खेल-कूद, अनुशासन व शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला। तत्पश्चात राष्ट्रीय-गान की धुनों से उत्सव की समाप्ति की गई।
पूज्य माताजी को प्रणाम तथा सुषमा को प्यार कहना।
आपकी बेटी
क. ख. ग.
दिनांक : 3 अप्रैल, 1999