अपने मित्र को पत्र लिखिए, जिसमें विदेश जाने पर मंगलकामना की वर्णन हो।
4 जनकपुरी,
नई दिल्ली।
प्रिय बन्धु पंकज !
सस्नेह नमस्ते ।
अभी-अभी तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि तुम्हें इंग्लैंड में इन्जीनियरिंग के लिए चुन लिया गया है। मित्र ! उन्नति का अवसर कभी-कभी प्राप्त होता है। जो समय का लाभ उठाकर आगे बढ़ता है, सफलता उसके कदम चूमती है। यदि कोई अवसर चूक जाता है, तो वह कभी सफल नहीं हो पाता।
मित्र ! आपके प्रगतिशील कदम हमेशा आगे ही बढ़ते रहें, यह मेरी शुभकामना है। तुम मुझसे बहुत दूर जा रहे हो, इसका दुःख भी है। परन्तु प्रसन्नता इस बात की है कि आप लौटकर योग्य बनकर आओगे। यहाँ हम साथ-साथ काम करते थे, लेकिन अब काफी दुरी बढ़ जाएगी।
मेरी यही कामना है कि तीन वर्ष की अवधि का अनुभव प्राप्त कर भारत लौटो भौर अपने देश को लाभ पहुँचाओ। इंग्लैंड में जाकर अपने इस मित्र को भुला न देना । पुनः आपकी विदेश यात्रा की मंगल कामना करता हूँ।
माता-पिताजी को प्रणाम। अनुराधा को प्यार देना।
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
क. ख. ग.
दिनांक : 1 फरवरी, 1999