सपनों में खोए रहना बेवकूफी है
Sapno me Khoye rehna Bewakufi hai
जो दिन रात सूरज चाँद, सितारों की गणना करता रहता था। आकाश मंडल में तारों के निरीक्षण में वह इतना मगन हो जाता कि उसको किसी और बात का होश ही न रहता था। यहाँ तक कि उसे यह भी ध्यान नहीं रहता था कि चलते समय उसके पैर कहाँ पड़ रहे हैं? एक दिन इसी तरह अपनी धुन में मस्त वह आकाश की ओर देखता हुआ चला जा रहा था कि तभी उसे ठोकर लगी और वह काँटों की एक झाड़ी में फंस गया। कांटें चुभने से उसे दर्द होने लगा। झाड़ी से निकलने का प्रयास करते हुए वह मदद के लिए चिल्लाने लगा। कुछ व्यक्तियों ने उसकी आवाज़ सुन ली और उन्होंने उसकी मदद के लिए आकर उसे झाडी से निकाला। एक व्यक्ति ने पूछा, “आप इतनी बड़ी झाड़ी में कैसे फंस गए, क्या आपको यह झाडी दिखाई नहीं दी थी?” ज्योतिषी ने झाड़ी में गिरने का अपना कारण बता दिया। कारण जानने पर सभी लोग हँसने लगे। और ज्योतिषी से बोले, “आप दूर । आकाश को देखकर गणना कर सकते हो परन्तु अपने पास की। वस्तुओं को ठीक प्रकार देख भी 6 नहीं सकते। भाई, सच्चाई देखो और 1 सपनों की दुनिया में रहना छोड़ दो।” लोगों की बात सुनकर ज्योतिषी बहुत लज्जित हुआ। अत: वास्तविक दुनिया को छोड़कर सपनों में खोए रहना बेवकूफी है।