अच्छा राज तो खुशहाल समाज
Accha Raja to Khushal Samaj
आज चपंक वन में चुनाव था। वन के सभी जानवरों ने |मिल कर लोमडी को अपना नया राजा चुना। सब जानवरों को विश्वास था कि लोमड़ी बहुत अधिक बुद्धिमान है। अत: वह बहुत अच्छा राजा साबित होगी। चुनाव की इस दौड़ में एक सियार भी शामिल था। सियार को भी पूर्ण विश्वास था कि उसे ही राजा चुना जाएगा, परन्तु लोमड़ी के राजा बनने पर उसका दिल ईष्र्या से भर गया। वह अब किसी न किसी तरह, सब के सामने चुनी हुई राजा लोमड़ी को नीचा दिखाना चाहता था।
एक दिन सियार भोजन की खोज में घूम रहा था कि उसकी दृष्टि एक स्थान पर पड़े माँस के टुकड़े पर पड़ी। निकट आने पर उसने देखा कि वह माँस एक फंदे में पड़ा था। किसी शिकारी ने किसी जानवर को पकड़ने के लिए वह फंदा लगा रखा था। सियार को लोमड़ी से बदला लेने का यह अच्छा अवसर लगा। वह लोमड़ी के पास पहुँचा और उसे माँस खाने का लालच देकर वहाँ ले आया। ज्योंही लोमड़ी ने माँस के टुकड़े को उठाने का प्रयत्न किया, उसका हाथ फंदे में फँस गया। यह देख सियार ठहाके मारकर हँसते हुए बोला, “जब तुम्हें राजा होकर अपने मन पर काबू नहीं है। तो तुम जंगल के जानवरों पर क्या शासन करोगी?” अत: सदैव नेता देख-परख कर चुनना चाहिए, तभी तो यह कहा गया है कि अच्छा राज तो खुशहाल समाज।