चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात
Char din ki Chandni Phir Andheri Rat
एक आलसी तथा निकम्मा लड़का था। वह कोई काम नहीं करता था और न ही किसी काम को करने में उसका मन लगता था, परन्तु सारे दिन वह बड़े-बड़े सपने देखा करता था। एक दिन उसे कहीं से नोटों से भरी हुई थैली मिली। धन पाकर वह बहुत ही। खुश हुआ। उस धन से उसने अपने लिए बहुत सी वस्तुएँ खरीदीं तथा गाँव भर में अपने धनी होने का रौब मारने लगा। जब भी उसकी माँ उससे कुछ काम करने को कहती तो वह जवाब देता, “माँ मेरे पास बहुत सारा धन है। अभी मुझे काम करने की क्या आवश्यकता है। जब पास का धन खत्म होगा, तब की तब सोचेंगे।”
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कोई भी वस्तु सदा के लिए किसी के पास नहीं रहती। अत: धीरे-धीरे रामु का धन भी खत्म हो गया। यहाँ तक कि उसके भूखे मरने की नौबत आ गई। अब स्थिति यहाँ तक बिगड़ गई कि गाँव में अब उसे कोई काम भी नहीं देता था। सभी यही कहते थे, आलसी और कामचोर व्यक्ति के लिए हमारे पास कोई काम नहीं है।” रामू को अब अपनी भूल का अहसास हो गया था। बिना मेहनत से मिला हुआ धन शीघ्र नष्ट हो जाता है, उसे इस रहस्य का पता चल गया। अतः ऐसे मिले हुए धन के विषय में तो फिर यही कहना पड़ेगा, “चार दिन की चाँदनी और फिर अंधेरी रात” ।