महँगाई की समस्या – मूल्यवृद्धि
Mehangai ki Samasya – Mulyavridhi
निबंध नंबर : 01
वस्तुओं की कीमतों में निरन्तर वृद्धि से एक ऐसी चिन्ताजनक स्थिति उत्पन्न हो गयी है, जिसका विकल्प निकट भविष्य में दिखाई नहीं दे रहा है। स्वतन्त्रता से पूर्व हमारे देश में मूल्य-वृद्धि की इतनी भयावह स्थिति नहीं थी, जितनी आज हो गयी है। उस समय जो वस्तुओं की कीमतें थीं। वे सर्वसाधारण के लिए कोई। दुःख का कारण नहीं था। सभी सहजता के साथ जीवन को आनन्दपूर्वक बिता रहे। थे। यद्यपि उस समय भी वस्तुओं की मूल्य-वृद्धि हो रही थी। उससे जीवन-रथ को आगे बढ़ाने में कोई बाधा नहीं दिखाई देती थी। इसके विपरीत आज का जीवन-पथ तो वस्तुओं की कीमतों में लगातार वृद्धि होने से काँटों के समान चुभने वाला हो गया है।
अब प्रश्न है कि आज वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होने का कारण क्या है ? वस्तुओं की कीमतें इतनी तीव्र गति से क्यों बढ़ रही हैं ? अगर इन्हें रोकने के लिए प्रयास किया गया है, तो फिर ये कीमतें क्यों न रुक पा रही हैं ? दिन-दूनी रात चौगुनी गति से इस मूल्य-वृद्धि के बढ़ने के आधार और कारण क्या है ?
भारतवर्ष में वस्तुओं की बढ़ती हुई कीमतों के विषय में यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है कि आजादी के बाद हमारे देश में कीमतों की बेशुमार वृद्धि हुई है। बार-बार सत्ता-परिवर्तन और दलों की विभिन्न सिद्धान्तवादी विचारधाराओं से अर्थव्यवस्था को कोई निश्चित दिशा नहीं मिली है। बार-बार सत्ता परिवर्तन के कारण अर्थव्यवस्था पर बहुत असर पड़ा है। जो भी दल सत्ता में आया, उसने अपनी-अपनी आर्थिक नीति की लागू किया। यों तो सभी सरकार ने मुद्रास्फीति पर काबू पाने को बराबर प्रयास किया। फिर भी अपेक्षित सफलता किसी भी सरकार को नहीं मिली।
प्रथम पंचवर्षीय योजना में कृषि उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि होने के कारण थोक कीमतों में 18.4 प्रतिशत कमी हुई। लेकिन इस योजना के अन्त में कीमतों का बढ़ना पुनः जारी हो गया। दूसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान कीमतों का बढ़ना । रुका नहीं और इनकी वृद्धि 30 प्रतिशत हो गई। तीसरी पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत खाद्यान्न की अत्यधिक वृद्धि के कारण कीमतों की वृद्धि दर लगभग स्थिर थी। । लेकिन सन् 1962 में चीनी आक्रमण और सन् 1965 में पाकिस्तानी आक्रमण के फलस्वरूप युद्ध-खर्च के साथ-साथ अन्य राज्यों में सूखा और बाढ़ की भयंकर स्थिति से खाद्यान्न में भारी कमी के कारण मूल्य दर बढ़ना शुरू हो गयी। इसी प्रकार से सन् 1971 में पाकिस्तानी आक्रमण के साथ लगभग एक करोड़ शरणार्थियों के पूर्वी पाकिस्तान से आने के कारण सरकार को खर्च पूरा करने के लिए अतिरिक्त कर
भी लगाने पड़े थे। इससे वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि दर करनी पड़ी। इस प्रकार समय-समय पर मूल्य स्थिरता के बाद मूल्यवृद्धि इस देश की नियति बन गई है।
वस्तुओं की कीमतों में लगातार वृद्धि होने के कारण अनेक हैं। जनसंख्या का तीव्र गति से बढ़ने के कारण पूर्ति माँग के अनुसार नहीं बढ़ना, मुद्रापूर्ति का लगभग एक प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ते जाना और वस्तु का उत्पादन इस गति से न होने के साथ-साथ रोजगारों में वृद्धि, घाटे की वित्त-व्यवस्था, शहरीकरण के प्रवृत्ति काले धन का दुष्प्रभाव तथा उत्पादन में धीमी वृद्धि आदि के कारण कीमती में वृद्धि हुई। यही नहीं देश में भ्रष्ट व्यवसायी और दोषपूर्ण वितरण व्यवस्था ने कीमतों में निरन्तर वृद्धि की है।
कीमतों में निरन्तर वृद्धि के मुख्य कारणों में सर्वप्रथम एक यह भी कारण | है कि विज्ञान की विभिन्न प्रकार की उपलब्धियों से आज मानव मन डोल गया है। वह विज्ञान के इस अनीखे चमत्कार में आ गया है। इनके प्रति लालायित होकर आज मनुष्य में अपनी इच्छाओं को बेहिसाब बढ़ाना शुरू कर दिया है। फलतः वस्तु की माँग और पूर्ति उत्पादन से कहीं अधिक होने लगी है। इसलिए माँग की और खपत की तुलना में वस्तु उत्पादन की कमी देखते हुए वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि करने के सिवाय और कोई चारा नहीं रह जाता है। इस तरह महँगाई का दौर हमेशा होता ही रहता है।
वस्तुओं की कीमतों के बढ़ने से जीवन का अव्यवस्थित हो जाना स्वाभाविक है। आगे की कोई आर्थिक नीति तय करने में भारी अड़चन होती है। कीमतों की वृद्धि दर और कितनी और कव घट-बढ़ सकती है, इसकी जानकारी प्राप्त करना एक कठिन बात है। महंगाई बढ़ने से चारों ओर से जन-जीवन के अस्त-व्यस्त हो जाता है। इससे परस्पर विश्वास और निर्भरता की भावना समाप्त होकर कटुता का विष बीज बो देती है। अतएव वस्तुओं की बढ़ती हुई कीमतों को स्थिर करने के लिए कोई कारगर कदम उठाना चाहिए। इससे जीवन और समुन्नत और सम्पन्न हो सके।
निबंध नंबर : 02
मँहगाई की समस्या
Mehangai ki Samasya
भूमिका- मूल्य वृद्धि या मंहगाई क्या है ? दैनिक जीवन के उपयोग की वस्तुओं के मूल्य बढ़ जाते हैं और जन साधारण उन वस्तुओं को सुविधापूर्वक प्राप्त नहीं कर पाता, तो उस समय समाज में अशान्त फैलती है। स्पष्ट है कि दैनिक उपयोग की वस्तुओं के मूल्य बढ़ जाना ही मंहगाई कहलाती है। वर्तमान भारत में इस मंहगाई के कारण ही वर्ग भेद बढ़े हैं तथा निर्धन व्यक्ति, मजदूर वर्ग बढ़ती हुई मंहगाई के चक्र में पिसते गए हैं।
मंहगाई के कारण- वस्तु की मांग और उत्पादन का सीधा सम्बन्ध है। यदि वस्तु की मांग बढ़ती है तो उसका उत्पादन भी बढ़ता है। यदि वस्तु की मांग घटती है तो स्वाभाविक रूप से उसका उत्पादन भी घटेगा। जब उत्पादन की अपेक्षा मांग बढ़ती है तो वस्तुओं को अधिक ऊंचे भाव पर बेचा जाता है जिससे स्वाभाविक ही महंगाई बढ़ेगी। महंगाई का सबसे बड़ा कारण होता है, उपज में कमी। सूखा पड़ना, बाढ़ आना, चोर बाजारी, जमाखोरी और भ्रष्टाचार भी इसके कारण है। भारत वर्ष को चीन और पाकिस्तान जैसे देशों से युद्धों का सामना करना पड़ा। 1971 में पाकिस्तान से युद्ध होने के बाद बंगला देश से करोड़ों शरणार्थी भारत आए और उन पर करोड़ों रुपया व्यय करना पड़ा।
दूसरा बड़ा कारण जमाखोरी है। उपज जब मण्डियों में आती है, अमीर व्यापारी भारी मात्रा में अनाज एवं वस्तुएं खरीद कर अपने गोदाम भर लेता है और इस प्रकार बाजार में वस्तुओं की कमी हो जाती है। व्यापारी अपने गोदामों की वस्तुएं तभी निकालता है जब उसे कई गुणा अधिक कीमत प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त मुद्रा-स्फीति के कारण भी चीजें महंगी होती जा रही हैं। राष्ट्र की उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाना अनिवार्य है। इसके साथ ही कार के पास आवश्यक वस्तुओं के विशाल भण्डार होने चाहिए ताकि समय आने पर व्यापारी अनचाह रूप म कीमतें बढ़ाए तो सरकार आवश्यक अन्न, चीनी आदि का वितरण कर सके। वितरण प्रणाली में सुधार करना आवश्यक है।
सरकारी तंत्र में भी सुधार करना आवश्यक है। रिश्वतखोर सरकारी कर्मचारी जो व्यापारियों से ‘महीना’ लेकर उस पर बोझ डालती है। इस पद्धति से कठोरता से निपटना होगा। कर चोरी और कर वसली जैसी समस्याओं के लिए भी कठोर उपाय अपनाने होगें। उचित मूल्यों की दुकानें खोलना, राशिनिंग करना भी महंगाई को रोकने के लिए आवश्यक है। देश का कितना दुर्भाग्य है कि स्वतन्त्रता के लम्बे समय के बाद भी किसानों की सिंचाई की पर्ण सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
उपसंहार- किसी भी देश की प्रगति तभी हो सकती है। जब देश के नागरिकों के सामने सदैव रोटी, मकान या कपडे की समस्या न हो। जीवन की गाड़ी को चलाने के लिए जीवनोपयोगी वस्तुओं का सुलभ होना अनिवार्य है। यदि निम्न वर्ग के लोगों को उचित दाम पर आवश्यक वस्तुएं नहीं मिलेंगी तो असंतोष बढ़ेगा और हमारी स्वतन्त्रता के लिए पुन: खतरा पैदा हो जाएगा।
निबंध नंबर : 03
महंगाई
Mehangai
भारत में निवास करने वाला शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा। महंगाई से आक्रांत न हो। आज यह समस्या मानव त्रासदी का प्रमुख कारण बनी हुई है। बाजार में उपभोग्य वस्तुओं की कीमतें दिन-प्रतिदिन बदली ही जा रही हैं। आज अधिकांश परिवार महंगाई के कारण संकट में इस कारण वे अपने परिवारीजनों का भरण-पोषण करने में असमर्थ है। मुद्रा की कीमत दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। इस समस्या से जनता तथा सरकार दोनों परेशान हैं। इस प्रकार समस्त देश का जीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है। यदि शीघ्र ही इसका निराकरण नहीं किया गया तो देश में क्रांति उत्पन्न हो जाएगी और भयंकर विद्रोह छिड़ जाएगा।
आज दैनिक प्रयोग में आने वाली वस्तओं की कीमत निरंतर बढ़ती जा रही है। उससे हमारे समक्ष अनेक समस्याएँ उपस्थित हो गई हैं। जैसे:–
- महंगाई तो बढ़ रही है, परंतु उपभोग्य वस्तुओं का उत्पादन उस गति से नहीं हो पा रहा है। अतः वस्तु के अभाव के कारण मूल्यों में तीव्रतर वृद्धि होती जा रही है। हालांकि भारत सरकार इसे रोकने का प्रयास कर रही है, लेकिन अभी वह इसमें पूर्णत: सफल नहीं हुई है।
- बढ़ती हुई महंगाई से पूरा देश आक्रांत है। जिस गति से रुपए का मूल्य गिर रहा है, आज एक रुपया 1947 के 10 पैसे की कीमत के बराबर है। इससे वस्तु के उत्पादन में वद्धि होने पर भी उसकी कीमत निरंतर बढ़ रही हैं।
- आज व्यक्ति वस्तु के अभाव के भय से उसका संचय करना में जुटा है और इस प्रवृत्ति के कारण गरीब एवं मध्यम परिवार महगा। के शिकार होते जा रहे हैं।
- पूंजीपति लोग मनमानी मात्रा में वस्तुओं का संग्रह करके बाजार अभाव पैदा कर रहे हैं और संग्रह की हुई वस्तुओं को मनमाने मूल्य पर बेच रहे हैं जिससे महंगाई निरंतर बढ़ती ही जा रही है। इस पर कार रोक लगा रही है, पर पूर्णरूप से सफलता अभी नहीं मिली है।
- चूंकि कुछ क्षुद्र राजनेता काले बाज़ार को प्रोत्साहन देते हैं, अत: जह शासन प्रणाली भी महंगाई की समस्या को बढ़ावा देती है। इससे रिश्वतखोरी और काले धन वाले लोग पनप रहे हैं और वे सामाजिक जन-जीवन को खतरे में डाल रहे हैं।
- हम विदेशों में खाद्यान्न के बदले अन्य वस्तुओं को भेज रहे हैं जिससे महंगाई में वृद्धि हो रही है।
आज बढ़ती हुई महंगाई से समस्त जनता में त्राहि-त्राहि मची हुई है। लेकिन यह परेशानी तभी हल हो सकती है जब सभी देशवासी संकल्प करें कि वे मुनाफाखोरी, चोरबाज़ारी और भ्रष्टाचारी को कदापि सहन नहीं करेंगे। सचमुच तभी इस समस्या का समाधान हो सकता है।