विदेश में रहने वाले अपने उस मित्र को भारत के गणतंत्र दिवस के समारोह और महत्त्व का वर्णन करते हुए एक पत्र लिखिए जो इस देश में कभी नहीं रहा है।
परीक्षा भवन,
28 फरवरी,
प्रिय रिचर्ड,
तुम्हारा समाचार मिले बहुत दिन हो गए। कृपया समय-समय पर पत्र लिखते रहा करो। इस पत्र में मैं इस वर्ष सम्पन्न गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) समारोह के बारे में कुछ लिखने जा रहा हूँ।
गणतंत्र दिवस भारत के इतिहास में एक शुभ दिन है। इस दिन भारत नया संविधान अपनाने के बाद एक सम्प्रभुसत्ता सम्पन्न राष्ट्र बन गया। यह स्वशासन के युग में प्रवेश कर गया। अब भारत को अपना भाग्य स्वयं बनाने का अधिकार मिल गया।
चूंकि गणतंत्र दिवस का काफी महत्त्व है इसलिए यह पूरे भारत में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। किंतु भारत की राजधानी, दिल्ली में यह प्रतिवर्ष काफी शान-शौकत के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष का कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन से राष्ट्रपति के जुलूस के साथ शुरू हुआ। राष्ट्रपति, जो सुरक्षा बल के सर्वोच्च सेनापति होते हैं, ने सलामी ली और सुरक्षा बल, पुलिस और एन.सी.सी. कैडेट ने इंडिया गेट की ओर परेड शुरू किया। उपस्थित लोगों की संख्या सैकड़ों या हजारों में नहीं बल्कि लाखों में थी। वास्तव में, जहाँ तक आँख जाती थी, आदमी ही आदमी दिखाई देते थे। जुलूस शुरू होने के पहले राष्ट्रपति को इक्कीस तोपों की सलामी दी गई थी। जलूस में भारत के नवीनतम हथियार एवं युद्धोपकरण का प्रदर्शन किया गया। इसके बाद परेड करने वाली सेना के विभिन्न विंग का दल निकला। इसके बाद पुलिस, फायर बिग्रेड, और विद्यालय के बच्चों, इत्यादि का परेड हुआ। बाल-स्काउट और बालिका-गाइड की रैली भी देखने योग्य थी।
भारतीय संघ के राज्यों ने भी सांस्कृतिक एवं सामाजिक झाँकी प्रस्तुत की जिसके माध्यम से भारत के विचार प्रस्तुत हुए। सबसे अंत में भारतीय वायुसेना के विभिन्न प्रकार के विमानों का फ्लाईपास्ट हुआ। रात्रि में सार्वजनिक भवन जगमगा उठे और आतिशबाजी से लोगों का मनोरंजन हुआ और वे काफी आनंदित हुए।
मैं तुम्हें भारत आने और गणतंत्र दिवस समारोहों को स्वयं देखने के लिए प्रोत्साहित करूँगा। अगले वर्ष मैं तुम्हारे लिए और तुम्हारे मित्रों के लिए कुछ स्थान आरक्षित करा दूँगा। चूँकि तुम इस वर्ष के उत्तरार्द्ध में या अगले वर्ष के प्रारंभ में भारत-भ्रमण का इरादा रखते हो इसलिए मैं तुमसे आग्रह करूँगा कि तुम ऐसे समय में भारत आओ कि गणतंत्र दिवस समारोह के समय यहाँ रह सको।
तुम्हारे शीघ्र उत्तर की प्रतीक्षा में।
तुम्हारा विश्वासी
(क)