Hindi Patra Lekhan “Apne mitra ko patra likhkar uske saath chutti ka din manaye jane ke bare me bataiye jisme vah shamil na ho saka” Class 10 and 12.

अपने मित्र को पत्र लिखकर उसके साथ छुट्टी का दिन मनाए जाने के बारे में बताइए जिसमें वह शामिल नहीं हो सका।

परीक्षा भवन,

25 जुलाई,

प्रिय रमण,

मुझे अभी-अभी इस माह की 20 तारीख को तुम्हारा स्नेह भरा पत्र मिला जिसमें तुमने मुझे उन परिस्थितियों के बारे में बताया है जिसके कारण तुम देहरादून और मैसूर के अवकाश-भ्रमण में शामिल नहीं हो सके। मैं आशा करता हूँ कि बीमारी के कारण तुम पहाड़ियों की रानी के भ्रमण पर नहीं जा सके, किन्तु अब पूरी तरह से स्वस्थ हो गए होगे ।

योजना के अनुसार, हमलोगों ने 15 जुलाई को 10 बजे सुबह चार्टर बस से अपने निवास् स्थान से प्रस्थान किया। हम लोग 10 लड़के एवं छः लड़कियाँ थे। लगभग 11 बजे सुबह हम् लोग कैनाल बैंक रेस्टोरेंट में रुके और अपर गंगा कैनाल के तट पर अपना नाश्ता किया आधा घंटा मनोरम दृश्यों का आनंद लेने के बाद हम लोगों ने आगे की यात्रा शुरू की और 4 बजे शाम को देहरादून पहुँच गए। पहुँचने के बाद सीधे विश्राम शिविर गए जहाँ मेरे चाच ने इस भ्रमण की अवधि के लिए हम लोगों के लिए पहले से ही एक कमरा किराये पर हं रखा था। शाम में हम लोग इस फैशन वाले शहर का मनोरम दृश्य देखने गए। अगला दिन हम लोगों ने विश्रामगृह की छत पर से दूरबीन की सहायता से माल रोड और मसूरी के अन्य क्षेत्रों को देखने में बिताया। इसके बाद हम लोग देहरादून के भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, क अनुसंधान संस्थान और सहस्रधारा देखने गए।

इस प्रकार देहरादून में चार दिन बिताने के बाद हम लोग मसूरी गए। दल की कु लड़कियाँ वास्तव में खड़ी ऊँचाई और तीखी-घुमावदार वाली टेढ़ी-मेढ़ी सड़क देखकर डर ग थीं। मसूरी में हम लोग माल रोड के किनारे एक होटल में ठहरे और दर्शनीय स्थल देख गए। यहाँ भी हम लोगों ने दूरबीन की सहायता से मनोरम दून घाटी देखने का आनंद लिया मसूरी में अपने प्रवास के दौरान हम लोगों ने पुस्तकालय, भू-ढलान और प्राकृतिक सुंदरत से भरपूर कई सुप्रसिद्ध स्थल देखे। हम लोगों ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादम भी देखने गए, जहाँ प्रशिक्षण के लिए आई.ए.एस. की भर्ती की जाती है। मसूरी में एक सप्ता के प्रवास का आनंद लेने के बाद हम लोग देहरादून वापस लौट गए।

यहाँ एक दिन और ठहरने के बाद हम लोग उसी मार्ग से अपने स्थान पर वापस लौट आए और मार्ग में गंगा नहर के तट पर कैनल बैंक रेस्टोरेंट में पुनः गए।

प्रिय रमण, तुम्हें विश्वास नहीं होगा कि हमारा भ्रमण सचमुच आनंद से भरा था और हम लोगों ने उन स्थलों को अपनी आँखों से देखा जिसके बारे में पहले दूसरों से सुना था। किंतु प्रिय रमण, विश्वास करो कि ये दिन आमोद-प्रमोद के दिन थे। मैं तुम्हें एक क्षण के लिए भी नहीं भूला। मुझें आशा है कि इस भ्रमण के दौरान तुम्हें भी मेरी कमी खली होगी तथा तुम हम लोगों के पास यथाशीघ्र आओगे।

कृपया अपने परिवार के सभी सदस्यों को मेरा प्रणाम कहना।

तुम्हारा सच्चा मित्र,

(क)

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