साक्षरता दिवस 8 सितम्बर (Saksharta Divas – 8 September)
साक्षरता अर्थात् अक्षर-ज्ञान। अक्षर-ज्ञान से आगे बढ़कर पढ़ना-लिखना। पढ़ा-लिखा मनुष्य ही एक अच्छा नागरिक बन सकता है। शिक्षित व्यक्ति में अपना अच्छा-बुरा-भला सब जानने की एक समझ पैदा होती है। हमारे देश में आजादी के समय करोड़ों लोग निरक्षर थे, अनपढ़ थे।
भारत सरकार ने देश की जनता को शिक्षित करने के लिए सन् 1988 में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन की स्थापना की। जगह-जगह इस मिशन की शाखाओं का जाल फैलाया गया। गाँव-गाँव, ढाणी-ढाणी तक शिक्षा की अलख जगाई गई। खेतों और उद्योगों में काम करने वालों के लिए रात्रिकालीन पाठशालाएँ चलाई गई। आज यह आंदोलन छोटे से छोटे गाँव तक पहुँचा हुआ है। गाँवों के बच्चे भी शिक्षित होकर अपने भविष्य को सँवारने में लगे हैं। हमारे यहाँ स्त्री शिक्षा का प्रतिशत बहुत कम था। आज देश में निरक्षर स्त्रियों का प्रतिशत कम हुआ है। गाँवों और कस्बों की स्त्रियाँ भी पढ़ने में रुचि लेने लगी हैं।
शिक्षा का अभाव गरीबी की ओर ले जाता है। तब न उसे जनसंख्या वृद्धि का ध्यान रहता है और न ही पेड़-पौधों का महत्व जान पाता है। नशे और जुए से होने वाले नुकसान को भी वह नहीं समझ पाता है। अनपढ़ आदमी अन्धविश्वासों का शिकार भी रहता है तो सामाजिक कुरीतियों से भी मुक्त नहीं हो पाता।
सरकार गरीबों के उत्थान और विकास के लिए कई योजनाएँ चालू करती है पर अशिक्षित आदमी शिक्षा के अभाव में इनका लाभ भी नहीं उठा पाता ।
शिक्षा पाने अर्थात् पढ़ने-लिखने की कोई उम्र या सीमा नहीं होती। यह तो बचपन से लेकर जीवनपर्यन्त चल सकती है। यद्यपि आज ऐसे उदाहरण भी सामने आने लगे हैं कि अनपढ़ माता-पिता भी अपने बच्चों को अच्छे विद्यालयों में, अच्छी शिक्षा दिलाने में रुचि लेने लगे हैं। इसके लिए वे स्वयं करते हैं। अपनी आय में वृद्धि कर बच्चों को पढ़ाने का दायित्व निभाने का प्रयास करते हैं।
इस 8 सितम्बर का यही उद्देश्य है कि शिक्षा का प्रसार हो। लोग शिक्षा के महत्व को समझें। संपूर्ण देश शिक्षित हो, यह उस देश के लिए निश्चित रूप से गौरव की बात हो सकती है।
आज का दिन इसी संकल्प का दिन है। ‘आओ पढ़ें-पढ़ाएँ, देश को आगे बढ़ाएँ।’ शिक्षा ही एकमात्र ऐसा साधन है कि हमारा भारत एक बार फिर ‘विश्वगुरु’ के सिंहासन पर बैठ सकता है।
कैसे मनाएँ साक्षरता दिवस (How to celebrate Literacy Day)
- बच्चों को शिक्षा का महत्व बताया जाए।
- बालिका शिक्षा पर विशेष रूप से कोई नाटिका मंचित की जाए जिसमें बालिका की शिक्षा का महत्व प्रकट हो ।
- बच्चों में शिक्षा की आवश्यकता से संबंधित स्लोगन प्रतियोगिता रखी जाए।
- शिक्षा के महत्व से जुड़े चित्रांकन की प्रतियोगिता रखी जाए।
- ऐसी किसी कॉलोनी के बच्चों और स्त्री-पुरुषों को आयोजन जोड़ा जाए जो अनपढ़ हों, जिन्हें अक्षर-ज्ञान न हो ।
- विद्यालय के बच्चों को भी ऐसी कॉलोनी में ले जाएँ जहाँ शिक्षक और बच्चे, बच्चों को और बड़ों को शिक्षा का महत्व बताएँ ।
- बच्चे और अध्यापक मिलकर वचन दें कि हम अनपढ़ लोगों को पढ़ाएँगे ।
- तख्तियों पर स्लोगन लिखकर रैली निकाली जाए।
- निकट के साक्षरता मिशन कार्यालय से सहयोग लें। उनके सहयोग से प्रदर्शनी का आयोजन करें ।
- साक्षरता व शिक्षा की आवश्यकता बताने वाले गीत और कविताओं का पाठ हो ।