स्वरोजगार प्रगति की ओर
Swarojgar Pragati Ki Aur
स्वावलम्बी बनना प्रत्येक युवा का सपना होता है। युवावस्था की शुरुआत होते ही उसमें आत्मनिर्भर बनने की चाहत गहरी होती चली जाती है। महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले प्रायः सभी छात्र/छात्राएँ आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं। वे कुछ ऐसा करना चाहते हैं, जिससे वह स्वयं की सार्थकता व उपयोगिता साबित कर सकें, जिन्दगी में अपनी निजी पहचान बना सके।
लेकिन आज के इस दौर में युवाओं के लिए इस चाहत को पूरा करना आसान नहीं है क्योंकि सरकारी नौकरियों अब सिमटती जा रही हैं पर युवाओं की संख्या और रोजगार की माँग बढ़ती जा रही है गैर-सरकारी तन्त्र में रोजगार के अवसर तो बढ़े हैं, पर साथ ही कई अनुबन्ध एवं प्रतिबन्ध भी बढ़े हैं। सभी जगहों पर निजीकरण के कारण सरकारी उद्यम घटे हैं। आज स्थिति कुछ ऐसी हो गई है कि योग्यता एवं प्रतिभा को नौकरी और रोजगार की गारण्टी नहीं माना जा सकता।
रही बात स्वरोजगार की तो उसके लिए धन चाहिए, और यह सुविधा सबके पास उपलब्ध नहीं है। सरकारी ऋण भी भाग्यशालियों को ही मिल पाता है, अन्यथा ज्यादातार युवा तो इसे पाने की कोशिश में सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते और अंत में हाथ मलते रह जाते हैं। पर आज आवश्यकता इस बात की है कि समस्याओं के मूल कारणों के खोज के पश्चात् इनके निदान हेतु सार्थक प्रयास किये जाएँ और युवा वर्ग की मानसिकता में परिवर्तन लाया जाय।
ऐसा तभी सम्भव है जब हम अपनी शिक्षा पद्धति में सकारात्मक परिवर्तन लाएँ। उन्हें आवश्यक व्यवसायिक शिक्षा प्रदान की जाए जिससे वे स्वरोजगार प्राप्त कर सकें। इस दिशा में सरकार निरन्तर कार्य कर रही है। पंचवर्षीय व कई अन्य योजनाओं के माध्यम से वह लघु उद्योग के विकास के लिए वह निरन्तर प्रयासरत है।
सभी बड़े शहरों में रोजगार कार्यालय खोले गए हैं जिनके माध्यम से युवाओं को रोजगार की सुविधा प्रदान की जाती है। वर्तमान समय में सरकार इस बात पर अधिक बल दे रही है कि देश के सभी युवक स्वावलम्बी बनें। वे सिर्फ सरकारी सेवाओं पर ही आश्रित न रहें अपितु उपयुक्त तकनीकी अथवा व्यवसायिक शिक्षा ग्रहण कर स्वरोजगार हेतु प्रयास करें।
नवयुवकों को उद्यम लगाने हेतु सरकार उन्हें कम ब्याज दरों पर ऋण प्रदान कर रही है तथा उन्हें उचित प्रशिक्षण देने को कार्य में सहयोग भी कर रही है।
अन्त में यह कहा जा सकता है कि बदलते परिप्रेक्ष्य में हमारे देश के नवयुवक कसौटी पर खरे उतरेंगे और देश की अर्थव्यवस्था को प्रगति की ओर ले जाने में अपना पूरा योगदान देंगे।