जल है तो कल है
Jal Hai to Kal Hai
अगर शरीर में साँस से वायु न जाए तो हम कुछ पल जीवित रह सकते हैं। अगर शरीर में भोजन न जाए तो हम दस-बीस-तीस-चालीस दिन तक जीवित रह सकते हैं और अगर हमारे भीतर पानी न जाए तो हम एक-डेढ़ दिन में ही तड़प उठते हैं। जबकि हमारा शरीर पानी की अधिकता लिए होता है। ठीक है कि हमारी शरीर की हर कोशिका में जल विद्यमान है फिर भी हम निष्क्रय से होने लगते हैं। अत: जल ही जीवन है। यह उक्ति सिद्धांततः सही साबित होती है। ऐसे में जल हमारे लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है। और इसे बचाने के हमारे प्रयास बहुत कम हैं। जो जल है वह अधिकांशतः प्रदूषित है। व्यक्ति तो छोड़िए उसे पीकर पशु-पक्षी तक दम तोड़ रहे हैं। ऐसे में हमारे इस तरह के प्रयास होने चाहिए कि हम अधिक से अधिक जल की बचत करें। इसके लिए जो सबसे बड़ा उपाय है वह यह है कि जो हमारे पास जल मौजूद है उसे जाया न करें। जैसे ज़रूरत भर के लिए पानी लिया और नल बंद कर दिया। इससे जो हमारा सुरक्षित जल है वह बर्बाद न होगा। कहीं हमें अकारण जल बहता दिखाई दे तो उसे फौरन बंद कर दिया जाए। घर-परिवार में अगर कोई जल का दुरुपयोग कर रहा है तो उसे नम्रता से रोकें। इस तरह की जल की बचत अपने स्तर पर है। दूसरी बात यह है कि जल को प्रदुषित न होने दें। उद्योग लगाएँ तो उन संयंत्रों को अवश्य लगाएं जिनसे जल प्रदषित होने का खतरा न हो। ऐसे पुराने उद्योग भी बंद कर दिए जाएँ जो जल प्रदूषित करते हैं। सच तो यह है कि अगर हर व्यक्ति जल बचाने का सुदृढ़ संकल्प ले ले तो आने वाली पीढ़ी के लिए जल सुरक्षित हो जाएगा। यह मानकर चलें कि जल है तो कल है।