भारत का बदलता चेहरा
Bharat ka Badalta Chehra
वेदकालीन भारत आज इंटरनेटयुग का भारत है। यह कुर्ता-धोती वाला भारत नहीं है, जीन और टी-शर्ट | पहनने वाला भारत है। यह गरीब भारत नहीं है, अब अमोर भारत है। इसका चेहरा लगातार बदल रहा है। पहले जिन लोगों के पास कच्चे घर होते थे, चूल्हे में लकड़ियाँ सुलगाकर खाना पकाया जाता था. आज गैस सिलेंडर और बिजली के चूल्हे इस्तेमाल किए जा रहे हैं। पहले मूंज व सन की चारपाई पर लोग सोया करते थे अब डनलप के डबल बैड पर सोते हैं। पहले खुले में शौच कार्य निवृत्त किया जाता था, अब घरों में आधुनिक शौचालय बने हैं। भारत का चेहरा लगातार बदले रहा है। पहले देश के लिए सर कटाने वाले थे अब देश को लूटकर खाने वाले निरन्तर बढ़ते जा रहे हैं। भारत राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तौर पर संपन्न अवश्य हुआ है पर उतना ही तनावभरा जीवन जी रहा है। पहले रोगी रोग के अभाव में जान दे दिया। करते थे अब तो चिकित्सकों ने कई सौ किलो मीटर (जयपुर) से हृदय लाकर एम्स में भर्ती मरीज़ के लगाने में सफलता प्राप्त कर ली है। अब यह नवाबों व जमीदारों का भारत नहीं है। बाबुओं का भी नहीं है। अब उद्योगपतियों और वैज्ञानिकों का भारत है जिन्होंने मंगलयान तक अपना परचम फहरा दिया है। निश्चित ही भारत का चेहरा बदल रहा है और यह विश्व के महत्त्वपूर्ण देशा में चौथे स्थान पर पहुंच गया है।