भारत का मंगल अभियान
Bharat Ka Mangal Abhiyan (MOM)
चौबीस सितंबर 2014 का दिन भारत ने मंगल ग्रह में मंगल अंतरिक्ष अभियान स्थापित कर दिया। भारत का नाम इसलिए इस विज्ञान में महत्त्व रखता है क्योंकि यह पहले ही प्रयास में अपने स्थान पर स्थापित हो गया जबकि इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कही जाने वाली अमेरिका, रूस जैसी शक्तियाँ कई प्रयास के बाद भी सफलता नहीं प्राप्त कर पाई। चीन और जापान भी अभी इस दिशा में सफल नहीं हो पाए। सफलता के साथ भारत अपना यान भेजने वाला दुनिया में चौथा देश हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजदगी में इसरो के वैज्ञानिकों ने मुख्य 440 नयूटन लिक्विड एपीजी मोटर (एल.ए.एम) और श्रस्टर्स प्रज्जवलित किए। ‘मार्स आर्बिटर मिशन’ (एम.ओ.एम.) अंतरिक्षयान ‘ मंगलयान’ ने लाल ग्रह की कक्षा में पहुँचने तक लगभग एक साल का सफर तय किया। इस पर केवल 450 करोड़ रुपए खर्च हुए है। इसलिए ‘मंगलयान’ बहुत सस्ता मिशन है। इसने पाँच नवम्बर 2013 को अपना सफर शुरू किया था। इसने 660 किलो मीटर की दूरी तय की। जैसे ही अपने निर्दिष्ट स्थान पर पहुँचा तो वैज्ञानिकों ने एक-दूसरे को बधाई दी। नासा का मंगलयान 22 सितम्बर 2014 को मंगल कक्ष में प्रविष्ट हुआ। यह यान मंगलग्रह की सतह और उसके खनिज पदार्थो के अवयवों का अध्ययन कर रहा है। मंगल ग्रह पर विभिन्न देशों ने 51 मिशन भेजे हैं, उनमें से केवल 21 सफल हुए हैं। इस अभियान से भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत हुई है। अनेक संयंत्रों से सुसज्जित यह अभियान सफल है। इसरो ने फेसबुक पर एक तस्वीर भी डाली है। इसमें एक नारंगी रंग की सतह दिखाई दे रही है और इस पर डार्क होल है। यह तस्वीर सात हजार तीन सौ किलो मीटर की ऊंचाई से ली गई है जिसमें बताया गया है कि यहां का नजारा बेहद खूबसूरत है।