सुविधाओं से वंचित भारत के गाँव
Suvadhao se Vanchit Bharat Ke Gaon
पुरानी कहावत है कि भारत गाँवों में बसता है लेकिन यह भी सच है कि गाँव में रहने वालों के लिए साधारण से साधारण सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। यह बात उन गाँवों पर लागू नहीं होती जो नगरों या महानगरों के आसपास बसे हुए हैं। यहाँ तो शहरों जैसी सविधाएँ हैं। लेकिन दरदराज बसे भारत के अनेक गाँवों में अभी तक बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं है। न ही इन गांवों में पीने का शुद्ध पानी है। वहाँ चिकित्सा और शिक्षा का समुचित प्रबंध नहीं है। कई गाँवा के विद्यालयों के लिए मात्र एक ही शिक्षक है। असंख्य गाँवों में चिकित्सा सुविधा न के बराबर है। स्वास्थ्य कर्मचारियों से उन्हें जीवन रक्षक दवाएँ नहीं मिलती। इसके लिए उन्हें निकटतम शहरों की ओर दौडना पड़ता है। शहर पहुँचते-पहुँचते रोगी भगवान को प्यारा हो जाता है। गाँवों में सड़कों की दशा चिंतनीय है। कहीं-कहीं तो अब भी कच्चे रास्ते हैं। उड़ीसा, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखण्ड आदि के दूरदराज के ग्रामीण अंधेरे में अपना सारा जीवन गुजार देते हैं। बिजली है भी तो घंटे-आध घंटे के लिए आती है। आने-जाने के साधन नहीं हैं। बहुत-से गाँवों में आज भी बैलगाड़ियों से यात्रा करते हैं। गाँवों में सुविधाओं के अभाव का कारण सरपंच हैं। ये भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। ऐसे में गाँवों के लिए सरकार से आने वाले पैसा का बड़ा भाग इन भ्रष्टाचारी सरपंचों की जेब में भी चला जाता है।