विज्ञापनों की दुनिया
Vigyapano ki Duniya
यह विज्ञापनों की दुनिया है। एकदम लुभावनी दुनिया। इस दुनिया में उत्पादक अपने उत्पाद का इस तरह विज्ञापन देते हैं कि उपभोक्ताओं को न चाहकर भी उत्पाद खरीदना पड़ता है। जब उत्पाद खरीद कर वे घर ले आते हैं तब उसकी कलई खुलती है। जितने का वह उत्पाद होता है उससे कई गुना कीमत उपभोक्ताओं से वसूल कर ली जाती है। साथ ही उसकी गुणवत्ता के जो दावे किए जाते हैं, उनमें से शायद ही कोई खरा उतरता है। आपने अखबारों में छपे विज्ञापनों को गौर से पढ़ा होगा। एक विज्ञापन में लिखा था ‘सर के बाल चले गए हो तो चिंता नहीं। हम एक घंटे में सर पर प्राकृतिक बाल उगाने का दावा करते हैं। हम ऐसा तेल देंगे जो आपके सर पर प्राकृतिक बाल ला देंगें अगर हमारा दावा फेल रहा तो पैसे वापस।’ इस विज्ञापन को पढ़कर उक्त उत्पादक के दफ्तर में सैकड़ों ऐसे लोग चले आए जिनके सर पर बाल नहीं थे। उक्त उत्पादक ने अपने उत्पाद अर्थात् तेल की अच्छी खासी कीमत रखी हुई थी। उसने तीन दिन तक उपभोक्ताओं से अनाप-शनाप पैसे वसूले और उसके बाद अपना दफ्तर बदलकर रफू-चक्कर – हो गया। इसी तरह रोजाना ऐसे आकर्षक विज्ञापनों से उपभोक्ताओं का सामना होता है। एक विज्ञापन में पढ़ा अगर आप कमजोरी महसूस कर रहे हो तो हमारे पास आओ। सात दिन में ताकत वापस। उपभोक्ता झाँसे में आ गए। तीन-तीन, चार-चार हजार रुपए की आयुवैदिक दवाएँ खरीदीं। जब उपभोक्ताओं को फायदा नहीं हुआ तो कंपनी के मालिकों के पास पहुँचे, लेकिन मालिक लड़ने-मरने पर उतारू हो गए। यह विज्ञापनों की लुभावनी दुनिया है। इसके चक्कर में मत फँसो। केवल उस उत्पाद का इस्तेमाल करो जो सालों से इस्तेमाल करते आ रहे हैं। मशहूर कंपनियाँ अपनी गुणवत्ता बनाए रखती हैं। वे ऐसे उत्पादों का भ्रामक प्रचार कभी नहीं करतीं जिनसे उनकी कंपनी को नुकसान पहुँचे। उपभोक्ता विवेक से विज्ञापनों को पढ़े, समुझे और तब उत्पाद खरीदे। विज्ञापनों के लुभावने नारों से बचो।
Nice essay 😊😊😁