बर्फ की सफेद चादर में लिपटे पहाड़
Baraf Ki Safed Chadar main Lipte Pahad
पर्वतों की यात्रा करने का अवसर जब भी मिलता है तब वहाँ जाने को मन कर जाता है जहाँ पर्वत बर्फ से ढके होते हैं। ऐसा ही असवर मुझे दिसंबर में मिला। मेरे मित्र का बड़ा भाई शिमला रहता है। उसका विवाह था तो मैं भी शिमला गया। सोलन से ही बर्फ से ढके पहाड दिखाई देने लगे। जैसे-जैसे शिमला निकट आने लगा। ठंढ बढ़ने लगी। पर्वत ही नहीं धरती भी बर्फ से ढकी पड़ी थी। कोई घर ऐसा न था जिसकी छत पर बर्फ न हो। पर्वतों को देखकर तो ऐसा लगता था जैसे किसी ने पर्वतों को सफेद चादर से ढक दिया हो। चाँदनी रात में इनका सौन्दर्य और अधिक बढ़ गया था। सुबह के समय जब सरज की किरणें इन पर्वतों पर पड़ी तो ऐसा लगा जैसे किसी ने सोना बिखेर दिया हो। जब आकाश में बादल छा जाते हैं तब बर्फ से ढके पहाड़ों की सुन्दरता और बढ़ जाती है। एक निबंधकार रामनाथ प्रेमी ने ठीक ही कहा है- ‘बर्फ की चादर से ढका पर्वत सूरज की किरणों से सुनहरा हो गया। इस देखकर मेरा मन निर्मल हो गया। मेरे सारे विकार काले मटमैले बादलों की तरह घिरे और निर्मल हो गए। तीन दिन शिमला में बर्फ पड़ी। तीन दिन प्रकृति प्रतिदिन नए वेश में मेरे नेत्रों का आनंद प्रदान करती रही।