मेट्रो रेल
Metro Train
यह बात बिलकुल ठीक है। मेट्रो रेल हम शहरवासियों के लिए सुसभ्य और सुसंस्कृत व्यवहार की अपेक्षा रखती है। मेट्रो रेल में सफर करने वाले कई बार असहनीय और असभ्य व्यवहार करते देखे गए हैं। जैसे सुरक्षा जाँच एजेंसियों के साथ जाँच में सहयोग न करना, जबरदस्ती सुरक्षा घेरा तोड़कर भीतर घुसने की चेष्टा करना आदि। मेट्रो की सुरक्षा आपके लिए है। अगर आप ही ऐसा व्यवहार करेंगे तो इससे सुरक्षा जाँच में ढील पैदा होगी जो कभी भी किसी बड़े हादसे का कारण हो सकती है। मेट्रो रेल के प्लेट फार्म, स्टेशनों की सफाई रखना हम सबका कर्तव्य है। अगर हम कहीं भी चलते-चलते थूक देंगे या पान की गिलोरी जहाँ-तहाँ गिरा देंगे तो इससे सफाई व्यवस्था प्रभावित होगी। हालाँकि ऐसा करने वालों के लिए डी.एम.आर.सी. की ओर से भारी जुर्माने की व्यवस्था की गई है लेकिन तब भी यह तभी साफ-सुधरी रह सकती है जब स्वच्छता हमारे भीतर से पैदा होगी। इसके अतिरिक्त हम लोगों को मेट्रो कर्मचारियों के साथ भी शिष्टतापूर्ण व्यवहार करना होगा। पहले उतरने वालों को उतरने देना होगा बाद में स्वयं चढ़ना होगा। इसके अतिरिक्त अगर अशक्त व्यक्ति आ जाता है तो उसे स्वयं उठकर अपनी सीट पर बैठाना होगा। कई बार तो वरिष्ठ लोगों के लिए सुरक्षित सीटों पर युवा वर्ग बैठा रहता है। उन्हें उनके लिए सीट छोड़कर शिष्ट और सभ्य व्यवहार दिखाना होगा। मेट्रो के भीतर और बाहर खाने-पीने की चीजें ले जाना मना है। हमें इस दृष्टि से भी मेट्रो अधिकारियों का सहयोग करना होगा। यह सब हमारे शिष्ट और सभ्य व्यवहार के अन्तर्गत आता है आखिर हमारी मेट्रो है।