गाँवों से शहरों की ओर बढ़ रहा पलायन
Ganvo se Shahro ki aur badh raha Palayan
गाँवों में क्योंकि सरकारें शहरों जैसी सुविधाएं मुहैया कराने में रुचि नहीं रखती इसलिए ग्रामीण शहरों की ओर तेजी से पलायन कर रहे हैं। गाँवों में न तो समय पर बिजली आती है और न ही पेय जल की सुविधा मुहैया कराई गई है। इसके अतिरिक्त अच्छे शैक्षणिक स्कूल नहीं है, जहाँ अपने बच्चों को सुशिक्षा दे सकें। न ही अच्छे चिकित्सालय हैं जो मरीजों का सही इलाज कर सकें। ऐसे में ग्रामीणों का शहरों की ओर पलायन होना कोई हैरानी की बात नहीं। सरकारों को यह अच्छी तरह मालूम है कि वे चुनकर अगर लोकसभा, विधानसभाओं में आते हैं तो केवल ग्रामीणों के भरोसे। तब भी वे यहाँ के लोगों के लिए जरूरी सुविधाएं मुहैया नहीं करा सकते। आखिर जब शहरों के जीवन को ग्रामीण जीवन से आरामदायक बनाया जाएगा तो वे इस तरफ दौडेंगे ही। यह अंधी दौड है और पूरे देश में जारी है। गाँव के गाँव खाली हो रहे हैं। इससे खेती के व्यवसाय में कमी आई है। आज का यवक खेती करना पसन्द नहीं करता। इसका एक कारण यह भी है, यह घाटे का सौदा साबित होती जा रही है। वह मामली मज़दरी के लिए शहरों की ओर दौड़ा चला आ रहा है। आखिर क्यों रहे ग्रामीण गाँवों में जब सरकार वहाँ शहरों जैसे आरामदायक जीवन नहीं दे पा रही है? गाँवों के लोगों को जब वह नहीं मिलेगा जो शहरवासियों को मिलता है तब वे गाँवों में क्यों रहेंगे? राजनीतिक दलों के लिए तो गाँव वोट की राजनीति के लिए दोहन बन कर रह गया है। उनके बाशिंदों के लिए वे कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए हैं।