वरिष्ठ नागरिकों की समस्याएँ
Varishth Nagriko ki Samasiya
आज वरिष्ठ नागरिकों का समाज में जीना मुश्किल होता जा रहा है। स्वार्थी तत्त्व तब तक वरिष्टों का सम्मान करता है जब तक वे उनकी आर्थिक सहायता करते जाते हैं। जब वे इस दृष्टि से अक्षम हो जाते हैं तब उन्हें उनके पुत्र ही परिवार से अलग रखना शुरू कर देते हैं। इस तरह वे परिवार में उपेक्षित समुझे जाने लगते हैं। कुछ अपने आप को घर में अकेला समझकर स्वयं ही परिवार से अलग हो जाते हैं। घर से अलग होते ही उनकी समस्याएँ बढ़ती चली जाती हैं। उनकी कोई देखभाल करने वाला नहीं होता, उनसे बातें करने वाला कोई नहीं होता। शारीरिक रूप से इतने अक्षम हो जाते हैं कि मनोरंजन स्थल पर नहीं जा पाते। इन समस्याओं से निबटने के लिए अनेक स्थानों पर वरिष्ठ नागरिक क्लब बन चुके हैं। ये क्लब उन्हें पारिवारिक वातावरण और परिवार जैसा सम्मान देने की कोशिश कर रहे हैं। इनकी अनेक समस्याएँ हैं जैसे स्वास्थ्य संबंधी। ये क्लब उनकी स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतें भी पूरी करने में लगे हैं। वस्तुत: आज का व्यक्ति स्वार्थी है, इनके अनुभवों से फायदा उठाना नहीं जानता। अगर वह इनके अनुभवों का लाभ उठाए तो अपने जीवन को सुखी बना सकता है।