विद्यालयी शिक्षा में योग शिक्षा के महत्त्व पर विचार व्यक्त करते हुए शिक्षा निदेशक को पत्र लिखिए।
शिक्षा निदेशक महोदय,
शिक्षा निदेशालय,
नई दिल्ली।
विषय : विद्यालयों में योग शिक्षा की अनिवार्यता के संबंध में।
मान्यवर,
सविनय निवेदन यह है कि मैं संजय जैन विद्यार्थी परिषद् का सचिव हूँ। अपने इस पत्र द्वारा मैं विद्यालयों में योग शिक्षा की अनिवार्यता पर अपने कुछ सुझाव आपके समक्ष प्रेषित करने का साहस कर रहा हूँ। आशा है आप इन्हें अन्यथा न लेकर इस पर गंभीरता से विचार करेंगे।
हम सब जानते हैं एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। स्वास्थ्य ही जीवन के आनंद का स्रोत होने के कारण विद्यार्थी काल में योग शिक्षा दिए जाने की नितांत आवश्यकता है क्योंकि यही समय भविष्य की आधारशिला है। योगासन शरीर को चुस्त, फुर्तीला तथा नीरोग बनाए रखने में बहुत मदद करते हैं। आमतौर पर विद्यार्थी इस समय में लापरवाही या आलस्य के कारण व्यायाम नहीं करते जिसका दुष्प्रभाव उनकी पढ़ाई पर भी देखने को मिलता है। वे थोड़ा-सा परिश्रम करने पर ही थकावट का अनुभव करने लगते हैं। यदि योग शिक्षा को स्कलों में एक विषय के रूप में पढाया जाए, तो वे योग के महत्व को अच्छी तरह समझ सकेंगे। ध्यान लगाने की विधि से उनका शरीर नीरोग रहेगा और इससे वे अपनी मानसिक एकाग्रता को भी बढ़ा सकेंगे, जिसका सकारात्मक प्रभाव उनकी कार्यक्षमता पर भी पड़ेगा।
आशा है आप समय की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त कदम उठाएँगे।
भवदीय,
संजय जैन
दिनांक : 14.12.20…