परिवहन निगम के अध्यक्ष को पत्र लिखिए, जिसमें आपके गाँव/कॉलोनी तक बस बढ़ाने का अनुरोध हो।
अथवा
अपने राज्य के परिवहन प्रबंधक को एक पत्र लिखिए, जिसमें आपकी बस्ती तक एक नया मार्ग आरंभ कराने का अनुरोध हो।
मोहनलाल भार्गव,
प्रधान,
गुरु हरिकिशन नगर सुधार समिति,
नई दिल्ली।
अध्यक्ष/प्रबंधक महोदय,
दिल्ली परिवहन निगम,
इंद्रप्रस्थ एस्टेट,
नई दिल्ली -110002
विषय : गुरु हरिकिशन नगर में बस सेवा की उपलब्धता के संबंध में।
महोदय,
मैं, मोहनलाल भार्गव, पश्चिमी दिल्ली की आवासीय कॉलोनी गुरु हरिकिशन नगर की सुधार समिति का प्रधान हूँ तथा इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान इस आवासीय कॉलोनी में डी०टी०सी० की बसों की अपर्याप्त सेवा की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ।
पश्चिमी दिल्ली में स्थित यह कॉलोनी पिछले दस-बारह वर्षों से बसी हुई है। इस कॉलोनी में मुख्यत: मध्यम वर्ग के परिवार रहते हैं, जिनका अपना कारोबार है या फिर वे सरकारी कार्यालयों/प्रतिष्ठानों अथवा निजी प्रतिष्ठानों में कार्य करते हैं। यद्यपि यहाँ के कुछ निवासियों के पास अपने वाहन भी हैं, पर अधिकांश लोग बसों के द्वारा अपने कार्य करने के स्थान पर पहुँचते हैं।
दिल्ली परिवहन निगम की ओर से इस क्षेत्र के लिए 910 नं0 की केवल एक ही बस का प्रावधान है, जो सैयद नांगलोई से चलकर शिवाजी स्टेडियम तक जाती है। इस रूट पर जाने वाले निवासियों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं है, परंतु यहाँ के अधिकांश निवासी पुरानी दिल्ली की ओर या नेहरू प्लेस आदि की तरफ़ जाते हैं, पर वहाँ के लिए कोई बस-सुविधा उपलब्ध न होने के कारण उन्हें बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता है। वे कहींकहाँ जाकर, कई-कई बसें बदल-बदल कर अपने गंतव्य स्थान तक पहुँच पाते हैं। सुबह अपने काम पर जाने वालों की इतनी भीड़ होती है कि उनमें सीट मिलना तो दूर, खड़े होने की भी जगह नहीं होती। ऐसी स्थिति में महिलाओं तथा बड़ी उम्र के व्यक्तियों को विशेष कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
आपसे अनुरोध है कि आप इस क्षेत्र के लिए सुबह-शाम कम-से-कम एक-दो बसें अंतरराज्यीय बस अडडे की ओर तथा नेहरू प्लेस की ओर चलाने की व्यवस्था करें। इस सेवा का लाभ हमारी कॉलोनी के पास अभी विकसित हुई डी०डी०ए० कॉलोनी जी एच 12, 13 तथा 14 और भैरा एन्क्लेव के निवासी भी उठा पाएंगे।
मुझे विश्वास है कि आप इस क्षेत्र के निवासियों की समस्या पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करके उनकी कठिनाई दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाएँगे।
सधन्यवाद।
भवदीय,
मोहनलाल भार्गव
दिनांक : 17.7.20…….