School ke bacho par basto ka bojh kam karne ki shifarish karte hue Sampadak ko patra, ” स्कूली बच्चों पर बस्तों का बोझ कम करने की सिफारिश करते हुए संपादक को पत्र”

रजनीश जैन, निवासी-35. प्रताप निवासा-35, प्रताप नगर, जयपुर की ओर से राजस्थान पत्रिका के संपादक को पत्र लिखिएजिसमें स्कूली बच्चों पर बस्तों का बोझ कम करने की सिफारिश हो।

 

सेवा में

संपादक महोदय

राजस्थान पत्रिका

जयपुर

 

महोदय

मैं आपके इस प्रतिष्ठित पत्र का नियमित पाठक हूँ। मैं अपने विचार पाठकों तक पहुँचाना चाहता हूँ। कृपया इसे छापने का कष्ट करें। मैं आपका आभारी हूँगा।

आजकल दिनोदिन पढ़ाई का बोझ बढ़ता जा रहा है। बच्चे हलके और बस्ते भारी होते जा रहे हैं। सारी शिक्षा पुस्तकीय होती जा रही है। शिक्षा में क्रिया का स्थान घटता जा रहा है। जो छात्र तीन घंटों की परीक्षा में सफल होता है, उसी को मूल्यवान माना जाता है। हमारी परीक्षा-प्रणाली दोषपूर्ण हो गई है। बालक के मल्यांकन में उसकी शारीरिक क्रियाओं, खेला, सामाजिक गतिविधियों तथा सांस्कृतिक सफलताओं को शामिल किया जाना चाहिए। पुस्तकों का मूल्यांकन केवल 60 प्रतिशत होना चाहिए। 40 प्रतिशत अंक अन्य गतिविधियों के होने चाहिए। तभी छात्र खेल, नृत्य, गीत-संगीत और समाज-सेवा में रुचि लेकर संतुलित बन सकेंगे। बस्ते के बोझ के नीचे दबे बालक को देखकर तो दया आती है। इसे हर हालत में कम किया जाना चाहिए।

भवदीय

रजनीश जैन

35, प्रताप नगर

जयपुर

दिनांक : अगस्त 13, 2014

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