किसी दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को अपने शहर की बसों की बिगड़ती हालत और कुव्यवस्था पर पत्र लिखिए।
सेवा में
मुख्य संपादक
दैनिक भास्कर
लखनऊ
महोदय
मैं आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से उत्तर प्रदेश परिवहन की बसों की दुर्दशा के बारे में अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ। कृपया इसे पत्र में स्थान दें।
उत्तर प्रदेश परिवहन की बस-सेवा इन दिनों सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। बसों की हालत इतनी खराब है कि उन्हें देखकर डर लगता है। लगता है अनेक वर्षों से इन्हें इन्हीं के हाल पर छोड़ दिया गया है। धूल से सनी इन बसों की कोई सफाई नहीं होती। खिड़कियों के शीशे टूटे पड़े हैं। किसी यात्री ने उलटी कर दी है तो उसके निशान स्थायी रूप से पड़े रहते हैं। कहीं पान की पीक पड़ी रहती है तो कहीं सीटों की गद्दियाँ नदारद मिलती हैं। बस चलते ही सारी बस बजने लगती है मानो हम टिन के कारखाने में पहुँच गए हों। बसों के ड्राइवर और परिचालक अपनी मनमानी करते हैं। वे बस चलने के निश्चित समय का जरा भी ख्याल नहीं करते। पता नहीं, परिवहन अधिकारी किस दुनिया में सोए हुए हैं। मेरा उनसे निवेदन है कि वे एक बार अपनी बसों में यात्रा करके देखें। उन्हें अपनी कुव्यवस्था का स्वयं ज्ञान हो जाएगा।
भवदीय
महेंद्र पाल
5/02. निराला नगर
लखनऊ
13.10.2014