पुस्तकों का महत्त्व
Pustako Ka Mahatva
निबंध नंबर :- 01
पुस्तकें हमारी मित्र हैं। वे अपना अमृत-कोष सदा हम पर न्योछावर करने को तैयार रहती हैं। पुस्तकें प्रेरणा की भंडार होती हैं। उन्हें पढ़कर जीवन में कुछ महान कर्म करने की भावना जागती है। महात्मा गाँधी को महान बनाने में गीता, टालस्टायऔर थोरो का भरपूर योगदान था। मैथिलीशरण गुप्त की ‘भारत-भारती’ पढ़कर कितने ही नौजवानों ने आजादी के आंदोलन में भाग लिया था। पुस्तकें ही आज की मानव-सभ्यता के मूल में हैं। पुस्तकों के द्वारा एक पीढ़ी का ज्ञान दूसरी पीढ़ी तक पहुँचते-पहुँचते सारे युग में फैल जाता है। तुलसी के ‘रामचरितमानस’ ने तथा व्यास-रचित ‘महाभारत’ ने अपने युग को तथा आने वाली शताब्दियों को पूरी तरह प्रभावित किया। पुस्तकें मानव के मनोरंजन में भी परम सहायक सिद्ध होती हैं। मनुष्य अपने एकांत क्षण पुस्तकों के साथ गुजार सकता है। किसी ने कहा है-‘पुस्तकें जाग्रत देवता हैं। उनसे तत्काल वरदान प्राप्त किया जा सकता है।’
पुस्तकों का महत्त्व
Pustako ka Mahatva
निबंध नंबर :- 02
जब से अक्षर ज्ञान की उपलब्धि हुई तब से व्यक्ति को अक्षरों का महत्त्व का पता चल गया। पहले पुस्तकें ताड़ के पत्ते । पर लिखी जाती थीं। तब लेखक एक-आध प्रति ही अपने जीवन में तैयार कर पाता था। उसे प्रायः वक्ता पढ़कर सुनाता था और श्रोता सुनते थे। जब मुद्रण संस्कृति प्रकाश में आई तब पुस्तकें अधिक संख्या में प्रकाशित की जाने लगीं। इनके प्रति पाठकों का रुझान बढ़ने लगा। और पुस्तक का महत्त्व भी लोगों की समझ आने लगा। पहले घर का साक्षर मुखिया एक पुस्तक लेकर आता था और सब उसे या तो उनसे सुनते थे या फिर साक्षर एक-एक कर पढ़ते थे। इससे पता चल जाता है कि पुस्तक का जीवन में क्या महत्त्व था। पुस्तक वस्तुतः हमारी शिक्षक है। इसमें लेखक अपने बहुविध ज्ञान को अक्षरबद्ध करता है और पाठक उसे अपनी प्रतिभा के अनुसार पढ़ता है। केवल पढ़ता ही नहीं है, उसमें लिखे को अपने जीवन में उतारता भी है।
पुस्तकों के महत्त्व के बारे में कहा गया है कि इनका वही महत्त्व है जो शरीर में आत्मा का है। मनुष्य में ज्ञान की प्राप्ति पुस्तक से संभव है। यद्यपि ज्ञान के स्रोत अन्य साधन भी हैं जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम। लेकिन जब हम किसी विषय का सक्षम ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं तो तब हमें पुस्तकों का आश्रय लेना पड़ता है। पुस्तकों के बल पर हम अपने अतीत को जानते हैं, अपनी संस्कृति और सभ्यता को जानते हैं। पुस्तकों के बल पर वे पाठक अपना अध्ययन जारी रखते हैं जो शिक्षा प्राप्त करने के लिए दूर बसे शिक्षकों के करीब नहीं जा सकते। .अच्छी पुस्तक व्यक्ति के जीवन को ज्ञानवान बनाती है। अनुभवी और विचारवान बनाती है। उसे सुशिक्षित बनाती है और उसमें तर्क शक्ति का विकास करती है। यह ऐसा अस्त्र है जिसके बल पर व्यक्ति कहीं भी किसी से भी आत्मबल के साथ वार्ता कर सकता है। पुस्तक की कोई सीमा नहीं है। यह सीमाहीन है। कालिदास केवल भारत का ही नहीं है पूरे विश्व का कवि है और इसी प्रकार शेक्सपीयर केवल ब्रिटेन का ही नाटककार नहीं है अपितु पूरे विश्व का है। जैसे महाकवि कालिदास का अभिज्ञानशाकुंतलम् पूरी दुनिया में पढ़ा जाता है उसी तरह शेक्सपीयर का ‘मैकबेथ’ भी। पुस्तक का अध्येता दुनिया में कभी मार नहीं खाता क्योंकि प्रत्येक क्षेत्र में उसका ज्ञान विशाल हो जाता है।
आज टी.वी. और इंटरनेट के युग में भी पुस्तकों का महत्त्व अक्षुण्य है। टीवी पर किसी विषय के ज्ञान की संक्षिप्त और नपे नले शब्दों में चर्चा की जाती है जबकि पुस्तक में उस विषय को विस्तार के साथ पढ़ा जा सकता है और उसे दीर्घकाल तक हेज कर भी रखा जा सकता है। पुस्तक के महत्त्व को देखते हुए ही आज दुनिया भर में पुस्तक मेले लग रहे हैं। इससे समझ आ सकता है कि पुस्तक का महत्त्व निर्विवाद है।