Nirasha Chodo Kaam Karo “निराशा छोड़ो काम करो” Essay in Hindi, Best Essay, Paragraph, Nibandh for Class 8, 9, 10, 12 Students.

निराशा छोड़ो काम करो

Nirasha Chodo Kaam Karo

 

निराशा अंधकार है। अंधकार में व्यक्ति भटक कर सो जाता है। वह असहाय हो जाता है। उसे लगता है कि उसके हाथ में कुछ भी नहीं। इसलिए वह निराशा का शिकार हो जाता है। कुछ आत्मविश्वासी लोग अधर में भा प्रकाश की किरण लाने के लिए बेचैन रहते हैं। यह संघर्ष ही वास्तविक मानव की पहचान है। जो व्यक्ति संघर्ष करता है। उसे कुछ-न-कुछ सफलता अवश्य मिलती है। चाहे उसे जुगनु की रोशनी मिले या दीये की-उसके मन में एक विश्वास जन्म लेता है। यहाँ तक कि कभी-कभी उसकी अपनी आँखों की रोशनी ही तेज हो जाती है, इसलिए उसे रात के घने अंधेरे में भी दीखने लगता है। ये ही लोग समाज की आशा बनते हैं। महात्मा गाँधी हों या सुभाष चंद्र बोस या भगतसिंह-सबने निराशा के बादलों को चीर कर नवनिर्माण के लिए संघर्ष किया। परिणामस्वरूप देश आजाद हुआ। कोन सोच सकता था कि अंग्रेजों का विशाल साम्राज्य ध्वस्त हो सकता है। किंतु एक लक्ष्य के लिए उठाए गए कुछ कदम एक विशाल सफलता के लिए सीढ़ी बन गए। अतः जीवन में सफलता के लिए एक ही मंत्र है कि एक लक्ष्य तय करा और उस मार्ग पर चल पड़ो। आत्मविश्वास से बढाया गया एक-एक कदम हमें सफलता का आर ले जाता है।

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