Hindi Essay, Story on “Ram Laxman, Dasrath”, “राम, लछमन, दसरथ” Hindi Kahavat for Class 6, 7, 8, 9, 10 and Class 12 Students.

राम, लछमन, दसरथ

Ram Laxman, Dasrath

 

पुरानी बात है। तब रेल नहीं थी। तीन दोस्त पैदल सफर कर रहे थे। किसा पेड़ पर एक पक्षी बोला। तीनों में से एक ने अपने दसरे साथी से पूछा, यह पक्षी क्या बोल रहा है?”

जिससे पूछा गया था वह जाति का कुंजड़ा था। बोला, “यह बोल रहा है, प्याज, लहसुन, अदरक।”

प्रश्नकर्ता पहलवान था। बोला, “नहीं जी, तुमने ठीक नहीं समझा, यह तो साफ कह रहा है, “दंड, मुग्दर, कसरत।”

तीसरा भक्त जो अब तक चुप था, बोला, “नहीं भाइयो, यह तो साफसाफ कह रहा है, “राम, लछमन, दसरथ।”

उसी समय उस ओर से दो मियां-बीबी गुजर रहे थे। ये दोनों खड़े होकर पहले तीन की बातें सुनने लगे। इसी समय तीतर फिर बोला तो उस औरत ने कहा, “अरे, तुम सब इसकी बोली समझते ही नहीं, यह तो साफ बोल रहा है-चरखा, पोनी, चमरख।”

मियां बोले, “बीबी, यह तो कह रहा है, सुभान तेरी कुदरत”।

कोई गोस्वामी तुलसीदास का चेला वहां खडा था। उसने गरुजी की यह चौपाई दोहराई, “जाकी रही भावना जैसी, प्रभु-मूरत देखी तिन तैसी।”

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