जैसे को तैसा मिले
Jaise Ko Taisa Mile
पूरी कहावत यों है:
जैसे को तैसा मिले सुनिए राजा भील।
पीतल को घुन खा गए, छोरे को ले गई चील॥
एक आदमी ने तीर्थ जाते समय अपने घर के पीतल के बर्तन रक्षा के खयाल से पडोसी के यहाँ रखे। पड़ोसी के मन में बेइमानी आ गई। यात्रा से लौटकर
वह अपने बर्तन लेने गया तो पड़ोसी ने कहा, “भाई, मुझे बड़ा अफसोस है, आपके बर्तनों को तो घुन खा गये।”
उसने समझ लिया कि पड़ोसी की नियत बिगड़ गई है। आदमी था वह होशियार, कानों-कान किसी को खूबर न होने दी। दूसरे बर्तन खरीदकर अपना काम चलाया। अपनी तीर्थ यात्रा के उपलक्ष्य में कुछ दिनों बाद उसने एक भोज दिया। महल्ले के सभी स्त्री, पुरुष, बच्चे उसके यहां आए। और सब तो खापीकर वापस चले गये, उस बर्तन वापस न देनेवाले पडोसी के एक बच्चे को आपके से उसने एक अलग कमरे में अपने बच्चों के साथ खेलने को कर दिया। मां-बाप ने बच्चे को इधर-उधर बहुत खोजा। कहीं पता न चला तो वहां के राजा के यहां खूबर दी। राजा ने कहा, “तुम्हारा किसी पर शक हो तो कहो।”
उसने इस तीर्थयात्री पड़ोसी पर अपना संदेह प्रकट किया। राजा ने उसे बुलाकर पूछा, “क्योंजी, तुमने इसके लड़के को देखा है?”
उसने कहा, “महाराज, देखा क्यों नहीं, मेरे सामने से ही तो उसे चील ले गई।”
राजा ने कहा, “इतने बड़े लड़के को चील कैसे ले जा सकती है?”
उसने कहा, “महाराज, वैसे ही, जैसे पीतल को घुन खा सकते हैं।”
राजा ने पूछा, “पीतल को घुन कैसे खा सकते हैं?”
उसने कहा, “यह तो मेरे इन पड़ोसी से पूछिए।”
पूरा किस्सा मालूम होने पर राजा ने उसके बर्तन वापस दिलवाए और लडका अपने मां-बाप के यहां पहुंच गया।