Hindi Essay, Story on “Jaise Deve Vaise Pave”, “जैसा देवै वैसा पावै” Hindi Kahavat for Class 6, 7, 8, 9, 10 and Class 12 Students.

जैसा देवै वैसा पावै, पूत भतार के आगे आवै

Jaise Deve Vaise Pave, Poot Bhatar Ke Aage Aave

एक औरत बैठी खीर पका रही थी, कहीं से उसमें एक सांप आ गिरा। सांप तो उसने निकालकर फेंक दिया, लेकिन अब उस खीर का क्या करे? औरत लालची थी। घरवालों को वह खीर खिला न सकती थी, फेंकना उसके लिए एक समस्या थी। इसी समय एक भूखा साधु उधर आ निकला। उसने वह खीर साधु को दे दी और मन में खश हुई कि खीर खराब नहीं गई। औरत किसी काम से अपने पड़ोसी के यहां गई और साधु उस खीर को छोड़कर गंगा नहाने चला गया। पीछे से उसका पति और पुत्र खेत से आये। दोनों खूब भूखे थे। सामने खीर पड़ी देखी। एक-एक कटोरा चढ़ा गये। थोड़ी ही देर में दोनों खत्म हो गये। गांववालों ने सब किस्सा सुना। उन्हीं में से एक मुंहफट ने कहा, “जैसा देवै वैसा पावै, पूत भतार के आगे आवै।”

Leave a Reply