विज्ञान की देन-प्रदूषण
Vigyan Ki Den Pradushan
हमारे चारों ओर प्रकृति का जो समूचा रूप दिखाई पड़ता है, या महसूस होता है, वही पर्यावरण है। प्रकृति और मानव का चिरंतन संबंध है। कहा जाता है कि मानव प्रकृति के पाँचव विशिष्ट तत्वों-भूमि, वाय, जल, अग्नि और आकाश से निर्मित हुआ है। इन्हीं तत्वों के आपसी संतुलन, इनकी एक दूसरे की अनिवार्यता से बने वातावरण को हम पर्यावरण के रूप में जान सकते हैं। पर्यावरण अशुद्ध होना ही प्रदूषण है। प्रदूषण की समस्या आज की एक बड़ी समस्या है। यह समस्या विज्ञान की देन है। बढ़ते हुए उद्योग-धंधों से यह पनपी है। जब तक शहर नहीं बने थे, प्रदूषण का नामोनिशान नहीं था। प्रकृति में संतुलन बना हुआ था। वायु और जल शुद्ध थे, धरती उपजाऊ थी।