Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Jab mein Ghar par Akela tha”, “जब मैं घर पर अकेला था”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students.

जब मैं घर पर अकेला था

Jab mein Ghar par Akela tha

शनिवार की शाम थी। मेरे माता-पिता को किसी बीमार संबंधी को देखने के लिए अस्पताल जाना था। वे मझे अस्पताल नहीं ले जाना चाहते थे, क्योंकि वहाँ तरह-तरह के रोगी होते हैं। उन्होंने मुझसे कहा कि हम डेढ़-दो घंटे में वापस आ जाएँगे, तब तक तुम सावधानी से रहना, दरवाजा ठीक से बंद कर लेना और किसी अनजान व्यक्ति के लिए दरवाजा मत खोलना। माता-पिता के जाने के बाद मैं दरवाज़ा बंद करके टी०वी० देखने बैठ गया। थोड़ी देर बाद बिजली चली गई। मुझे मालूम नहीं था कि मोमबत्ती और माचिस कहाँ रखे हैं। मैं अँधेरे में से माचिस और मोमबत्ती ले आया और मोमबत्ती जलाकर बैठ गया। मुझे  थोड़ी घबराहट हो रही थी क्योंकि मैं घर पर अकेला कोई है, तो कभी लगता कि कोई खिड़की से झाँक रहा है। दरवाजा खटखटाने की आवाज़ आई, में बहुत घबरा गया। मैंने जोर अपनी माँ की आवाज़ सुनकर मेरी जान में जान आई। मैंने आ गई। मैं वह दिन कभी नहीं भूल सकता।

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