परिचय निबंध किसे कहते हैं? निबंध किसी भी ऐसी गद्य-रचना को कहते हैं, जिसमें लिखने वाला अपने विचारों, भावों या विभिन्न विषयों को अपने ढंग से प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत करने का प्रयास करता है।
निबंध के भाग
मुख्य रूप से निबंध के तीन भाग होते हैं :
- भूमिका 2. विस्तार 3. निष्कर्ष
- भूमिका- भूमिका किसी भी निबंध का प्रारंभिक भाग होता है। इसमें किसी भी विषय के बारे में संक्षेप में परिचय दिया जाता है। इसे बहुत ही उपयुक्त और विषय पर केन्द्रित होना चाहिए। इसी के आधार पर निबंध की रूपरेखा निर्धारित होती है। भूमिका ही वह महत्वपूर्ण अंग है जो पाठकों को निबंध आगे पढ़ने के लिए आकर्षित करती है। इसलिए भूमिका को बहुत ही आकर्षक और रुचिकर होना चाहिए।
- विस्तार- यह किसी भी निबंध का मुख्य भाग होता है। इसमें निबंध से संबंधित प्रत्येक तथ्यों, विश्लेषणों, आंकड़ों आदि का उपयुक्त ढंग से क्रमवार अलग-अलग अनुच्छेदों में चर्चा की जाती है। प्रत्येक अनुच्छेद सटीक, विचारों से युक्त तथा भावपूर्ण होना चाहिए।
- निष्कर्ष- यह किसी भी निबंध का अंतिम लेकिन महत्वपूर्ण भाग होता है। इसमें उपर कही गई सभी बातों का संक्षेप में सार होता है। इसे बहत ही प्रभावशाली और सगठित होना चाहिए।
निबंध के प्रकार विषय प्रतिपादन के दृष्टिकोण से निबंध मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं:
- वर्णनात्मक निबंध
- विवरणात्मक निबंध
- विचारात्मक निबंध
- वर्णनात्मक निबंध- इस प्रकार के निबंध में वस्तुओं, स्थानों, दृश्यों और त्योहारों आदि का वर्णन किया जाता है। जैसे-होली, वसंत ऋतु आदि।
- विवरणात्मक निबंध- इन निबंधों में घटनाओं, यात्राओं, उत्सवों, व्यक्तियों का परिचय आदि का वर्णन प्रस्तुत किया जाता है। जैसे रेल-यात्रा, महात्मा गाँधी इत्यादि।
- विचारात्मक निबंध- किसी भी समस्या, विचार, मनोभाव आदि पर लिखे गए विश्लेषणात्मक या व्याख्यात्मक निबंध इस श्रेणी में आते हैं। जैसे- विज्ञान: वरदान या अभिशाप, धर्म और राजनीति इत्यादि।
- भावात्मक निबंध- इस प्रकार के निबंधों में भावों की प्रधानता होती है। जैसे-अनुशासन, परोपकार आदि।
निबंध की विशेषताएँ
– लिखे जाने वाले विषयों का समुचित ज्ञान होना चाहिए।
– उस ज्ञान को क्रमबद्ध ढंग से विश्लेषण करने की क्षमता होनी चाहिए।
– वर्तनी एवं व्याकरण संबंधी अशुद्धियाँ बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। – विराम-चिन्हों का प्रयोग सही ढंग से किया जाना चाहिए।
– जिस वर्ग या विषय को ध्यान में रख कर निबंध लिखा जा रहा हो, भाषा तथा शैली भी उसी के अनुरूप होनी चाहिए।
– विचारों में एकरूपता होनी चाहिए।
– अंत में जिस विषय पर निबंध लिखा गया हो उसका सार निकल कर आना चाहिए।
निबंध-लेखन की कुछ महत्वपूर्ण सलाह
- किसी भी विषय पर निबंध लिखने के लिए पहले उस विषय पर विचार करें कि आप किस उद्देश्य से निबंध लिख रहे हैं।
- जो भी विचार आपके दिमाग में आ रहे हों उसे नोट कर लें।
- उन्हीं विचारों में से उपयुक्त विचारों को चुनकर तथ्यों सहित उसका विश्लेषण करें।
- चयनित विषय से कभी भी भटके नहीं।
- संक्षिप्त वाक्यों में अपनी बात को कहने का प्रयास करें।
- व्यर्थ की बातों को नहीं लिखें।
- अनुपयुक्त मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग नहीं करें।
- निबंध को विभिन्न अनुच्छेदों में विभाजित कर दें।
- अनुच्छेद छोटे-छोटे लिखें।
- शब्द-सीमा का विशेष ध्यान रखें।
- अपने विचारों को स्पष्ट ढंग से रखें।
- भाषा, विराम-चिन्हों और वर्तनी का प्रयोग सही ढंग से करें।
- लिखावट सुन्दर और स्पष्ट होनी चाहिए।
- जिस भी विषय पर निबंध लिखा जा रहा हो उसका अंत में सार निकल कर आना चाहिए।