डॉ० विक्रम साराभाई
Vikram Sarabhai
जन्म: 12 अगस्त 1919, अहमदाबाद
निधन: 30 दिसंबर 1971, हैल्सियॉन कैसल त्रिवेन्द्रम, तिरुवनंतपुरम
- ‘पूत के पाँव पालने में ही दिखाई दे जाते हैं’ – यह उक्ति डॉ. विक्रम साराभाई पर चरितार्थ होती है। दो वर्ष के बालक विक्रम को देखकर रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने उसकी प्रसिद्धि की भविष्यवाणी की थी ।
- पिता अंबालाल साराभाई अहमदाबाद के प्रतिष्ठित उद्योगपति और समजासेवी थे ।
- गुरुदेव टैगोर, पं. मोतीलाल नेहरू, मौलाना आजाद, सर सी.वी. रमन् आदि प्रतिभाशाली व्यक्तित्वों के घर में आवागमन का गहरा प्रभाव बालक विक्रम पर पड़ा।
- बचपन से ही मेधावी, साहसी किंतु चंचल विक्रम की प्रारंभिक शिक्षा अहमदाबाद में हुई।
- उच्च अध्ययन हेतु इंग्लैंड गए और सन् 1947 में नाभिकीय भौतिकी में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
- सन् 1965 में वे अहमदाबाद की भौतिक अनुसंधानशाला के निदेशक नियुक्त हुए।
- देश को अपनी वैज्ञानिक सेवाएँ अर्पित करते हुए उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान की नींव डाली। सन् 1966 में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष नियुक्त हुए।
- धुंबा में रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र की स्थापना उनके ही दिशा निर्देशन में हुई।
- कास्मिक किरणों पर उन्होंने विशेष काम किया ।
- विज्ञान-साधना में रत इस वैज्ञानिक की 52 वर्ष की आयु में 21 दिसंबर 1971 को मृत्यु हो गई।