ताराशंकर बन्द्योपाध्याय
Tarasankar Bandyopadhyay
(भारतीय उपन्यासकार)
जन्म: 23 जुलाई 1898, लाभपुर
मृत्यु: 14 सितंबर 1971, कोलकाता
- ताराशंकर बन्द्योपाध्याय का जन्म साधारण जमींदार परिवार में हुआ था।
- जब वे आठ वर्ष के थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया।
- उनकी माता प्रभावती देवी ने उनका पालन-पोषण किया।
- हाई स्कूल तक की शिक्षा गाँव में पूरी करने के बाद सन् 1916 में वे कलकत्ता चले गए।
- उनके क्रांतिकारी राजनीतिक विचारों के कारण उन्हें कुछ समय तक नजरबंद रखा गया।
- विश्वयुद्ध के बाद शिक्षा का प्रयत्न किया परंतु सफल नहीं हुए। वे अपनी जमींदारी की देख-रेख और गाँव के सेवाकार्यों में लग गए।
- सन् 1930 के आंदोलन में वह जेल गए, वहाँ राजनीतिक दलबंदी के कारण राजनीति से उन्हें घृणा हो गई और वह पूरी तरह से साहित्य सेवा में लग गए।
- अपने गाँव में रहते हुए ही उन्होंने कविताएँ, नाटक लिखने शुरू कर दिए थे। बंगश्री के प्रवेशांक में छपी कहानी ‘श्मशानघाट’ से उनके साहित्य का प्रभावी अध्याय प्रारंभ हुआ।
- उन्होंने ‘गणदेवता’ जैसे गद्यात्मक महाकाव्य की रचना की है। उनके अधिकतर उपन्यास ग्रामीण पृष्ठभूमि पर लिखे गए हैं।
- उन्हें ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।