श्यामा प्रसाद मुखर्जी
Syama Prasad Mukherjee
(Former Minister of Commerce and Industry of India)
जन्म: 6 जुलाई 1901, कोलकाता
निधन: 23 जून 1953 (आयु 51 वर्ष), श्रीनगर
- श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारतीय जनसंघ के प्रणेता थे । उनके पिता श्री आशुतोष मुखर्जी एक नामी वकील और कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्राण थे । वे बंगाल के बहुत प्रसिद्ध व सम्मानित व्यक्ति थे ।
- श्यामा प्रसाद ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया । उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने सन् 1924 में वकालत के बदले कलकत्ता विश्वविद्यालय में रहना ज्यादा उचित समझा ।
- पिता की मृत्यु के बाद सन् 1934 में उन्होंने विश्वविद्यालय की बागडोर संभाली। उसके उपकुलपति बने। रॉयल एशियाटिक सोसायटी के प्रथम भारतीय अध्यक्ष बने। अखिल भारतीय बंग साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष रहे। सन् 1941 में संयुक्त बंगाल के वित्तमंत्री बने।’भारत छोड़ो आंदोलन’ के समय प्रांतीय गवर्नर और वॉयसराय को कठोर पत्र लिखे ।।
- उन्हें देश की किसी तरह की सेवा में परहेज नहीं था । सन् 1942 में मिदनापुर जिले में भयंकर बाढ़ आई । अंग्रेज गवर्नर ने उन्हें जिले का दौरा करने से मना किया । उन्होंने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया ।
- महाबोधि सोसायटी, रामकृष्ण मिशन और मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी की मदद से बाढ़ पीड़ितों की सहायता की ।
- देश विभाजन पर हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचारों की तरफ सबका ध्यान उन्होंने ही खींचा । सन् 1950 में पाकिस्तान में हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचारों के विरोध में अपना पद त्याग दिया और हिन्दुओं के हितों की रक्षा के लिए संघर्ष करने लगे। जम्मू-कश्मीर की शेख अब्दुल्ला सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया ।
- जेल में उन्हें सभी सुविधाओं से वंचित रखा।
- वाणिज्य मंत्री के रूप में उन्होंने बंगलौर में हवाई जहाज निर्माण कारखाना, चित्तरंजन रेलवे वैगन कारखाना और सिंदरी इस्पात निर्माण के महत्त्वपूर्ण कारखाने अपनी देख-रेख में लगवाए।
- वे महाबोधि सोसायटी के अध्यक्ष थे । इंग्लैंड से लाए गए भगवान बुद्ध के अवशेष उन्हें सौंपे गए, जिन्हें उन्होंने सांची के स्तूप में स्थापित करवा दिया।
- 24 जून 1953 को उनका निधन हो गया ।