डॉ० शांतिस्वरूप भटनागर
Shanti Swarup Bhatnagar
(Indian chemist)
जन्म: 21 फरवरी 1894, भेरा, पाकिस्तान
निधन: 1 जनवरी 1955 (उम्र 60 वर्ष), नई दिल्ली
- डॉ० भटनागर चुंबक रसायन पर अनुसंधान करने वाले महान् वैज्ञानिक थे । उनका बचपन ननिहाल में ही बीता । वे कुशाग्र बुद्धि थे । सन् 1908 में वे लाहौर चले गए । एम.एस-सी. करने के बाद सन् 1919 में यूरोप गए ।
- विदेश से लौटकर डॉ. भटनागर काशी हिंदू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बने। कुछ समय बाद वे पंजाब विश्वविद्यालय में आ गए । वहाँ यूनिवर्सिटी कैमिकल लेबोरेटरी, लाहौर में निदेशक बनकर अपना अनुसंधान कार्य करने लगे।
- डॉ० भटनागर विज्ञान को व्यवहारोपयोगी बनाने में अधिक विश्वास करते थे । उन्होंने चुम्बकीय तराजू का आविष्कार किया । चुम्बक रसायन सिद्धांत पर एक किताब लिखी।
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान डॉ० भटनागर को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संस्थान का निदेशक बनाया गया । उनकी देखरेख में बहुत से उपयोगी आविष्कार हुए।
- उनकी सलाह पर सरकार ने ‘कौंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च’ बनाई । 1 जनवरी 1955 को डॉ. भटनागर का निधन हो गया ।
- डॉ० भटनागर के अमूल्य योगदान के लिए सन् 1954 में उन्हें ‘पद्म-भूषण’ से सम्मानित किया गया ।
- विदेश से लौटकर डॉ. भटनागर काशी हिंदू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बने। कुछ समय बाद वे पंजाब विश्वविद्यालय में आ गए । वहाँ यूनिवर्सिटी कैमिकल लेबोरेटरी, लाहौर में निदेशक बनकर अपना अनुसंधान कार्य करने लगे।
- डॉ० भटनागर विज्ञान को व्यवहारोपयोगी बनाने में अधिक विश्वास करते थे । उन्होंने चुम्बकीय तराजू का आविष्कार किया । चुम्बक रसायन सिद्धांत पर एक किताब लिखी।
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान डॉ० भटनागर को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संस्थान का निदेशक बनाया गया । उनकी देखरेख में बहुत से उपयोगी आविष्कार हुए। उनकी सलाह पर सरकार ने ‘कौंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च’ बनाई । 1 जनवरी 1955 को डॉ. भटनागर का निधन हो गया ।
- डॉ० भटनागर के अमूल्य योगदान के लिए सन् 1954 में उन्हें ‘पद्म-भूषण’ से सम्मानित किया गया ।