मेजर ध्यान चंद
Major Dhyan Chand
भारतीय फील्ड हॉकी खिलाड़ी
जन्म : 29 अगस्त 1905, प्रयागराज
मृत्यु: 3 दिसंबर 1979, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली
- हॉकी के महान् जादूगर ने सोलह वर्ष की उम्र में सेना का जवान बनने के बाद हॉकी खेलने की शुरूआत की और शीघ ही इस खेल में अपनी जादूगरी दिखाने लगे।
- सन् 1928 में ध्यानचंद को एमस्टर्डम में होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए चुना गया। विरोधी टीम पर 28 गोल करके भारतीय टीम ने स्वर्ण जीता।
- इनमें 11 गोल अकेले ध्यानचंट ने किए थे। सन 1936 ध्यानचंद के लिए सनहरा वर्ष सिद्ध हुआ।
- इस वर्ष बर्लिन ओलंपिक में ध्यानचंद के नेतृत्व में भारतीय टीम को स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ।
- उनके खेल की तारीफ तानाशाह नेपोलियन ने भी की।
- ध्यानचंद को ‘जैतून की टहनियों’ का मुकुट पहनाया गया।
- ध्यानचंद ने अपने ओलंपिक कैरियर में 101 गोल और अन्य अन्तर्राष्ट्रीय मैचों में 300 गोल करने का कीर्तिमान स्थापित किया है।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने उन्हें मेजर’ का पद दिया तथा ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया।
- काफी समय तक वे नौजवान हॉकी खिलाड़ियों के लिए प्रशिक्षण केद्र चलाते रहे।
- 3 दिसम्बर, 1979 को विश्व के इस महान् खिलाड़ी का स्वर्गवास हो गया ।